BJP ने शुरू की जम्मू-कश्मीर चुनाव की तैयारी, इन 5 कैटेगरी के वोटरों पर रहेगा खास फोकस

चुनाव के मुहाने पर खड़ा कश्मीर को लेकर बीजेपी पुख्ता रणनीति बनाना शुरू कर दिया है. इसके लिए बीजेपी रणनीतिकारों ने परंपरागत वोटरों से अलग नए मतदाताओं पर भी फोकस करना शुरू कर दिया है. जानकारी के मुताबिक, जम्मू कश्मीर में 2019 के बाद पिछले 3 सालों में करीब 25-30 लाख मतदाताओं के बढ़ने की संभावना है. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव के वक्त जम्मू कश्मीर में करीब 76.6 लाख मतदाता रजिस्टर्ड थे. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक पारंपरिक वोट बैंक से अलग इस बार जम्मू-कश्मीर चुनाव में 5 श्रेणियों में मतदाताओं पर पार्टी विशेष फोकस कर रही है.
5 श्रेणियों में मतदाता पर फोकस

इसमें सबसे बड़ी संख्या पहाड़ी क्षेत्र के मतदाताओं की है. लगभग 17.5 लाख मतदाता पहाड़ी क्षेत्र में आते हैं. पहाड़ी क्षेत्र को सेडयुल एरिया घोषित कर उनको राज्य सरकार की नियुक्तियों में रिजर्वेशन देने की घोषणा गृहमंत्री अमित शाह ने इसी क्रम में की है. 1965 से लगातार पहाड़ी लोगों के लिए रिजर्वेशन देने की मांग हो रही है. उत्तराखंड के चकराता इलाके में पहले से ही इस आधार पर वहां के लोगों को मिलता आ रहा है.
वहीं, दूसरी श्रेणी में बकरवाल वोटरों पर बीजेपी विशेष फोकस कर रही है. जम्मू कश्मीर में बकरवालों की संख्या लगभग 1 लाख 15 हजार है.
तीसरी श्रेणी में बीजेपी उन वोटरों पर फोकस कर रही है जो पश्चिमी पाकिस्तान से वर्षों पहले आकर जम्मू और कश्मीर में बस गए थे. ऐसे मतदाताओं की संख्या लगभग 1 लाख 46 हजार के करीब है.
चौथी श्रेणी में बीजेपी ऐसे मतदाताओं पर भी विशेष ध्यान दे रही है जो आतंकवाद से प्रभावित होकर जम्मू कश्मीर से निकल देश भर में जाकर बस गए हैं. ऐसे मतदाताओं की संख्या लगभग 4 लाख 44 हजार के आसपास है. इनके लिए देशभर में करीब 150 जगहों पर वोटिंग की व्यवस्था करने की व्यवस्था चुनाव आयोग कर रहा है और उनका सर्वे हो रहा है.
पांचवें कैटेगरी में पीओके से जम्मू कश्मीर आकर बसे लगभग 1 लाख 86 हज़ार मतदाता हैं जो जम्मू कश्मीर में पंद्रह वर्ष से रह रहे लोग वोटर्स लिस्ट में शामिल हैं और लोकसभा चुनाव में वोट भी देते हैं लेकिन उन्हें विधानसभा चुनाव में वोटिंग का अधिकार नहीं था. अब धारा 370 हटने के बाद वो पहली बार विधानसभा चुनाव में इस बार वोट डालेंगे, अब उनको भी जोड़ा गया है. चुनाव आयोग विस्तार से ऐसे सभी वाज़िब मतदाताओं को लेकर मतदाता सूची की छानबीन कर रहा है. इन सभी मतदाताओं की पड़ताल डिप्टी कलेक्टरों की निगरानी में हो रही है.

जम्मू कश्मीर में गठबंधन, महिला मतदाताओं पर नजर
बीजेपी इस बार कुछ छोटी पार्टियों से भी गठबंधन करेगी लेकिन पार्टी ने साफ तौर पर ये तय किया है कि वो केवल उन्हीं पार्टियों से गठबंधन करेगी, जिनका हुर्रियत या अलगाववादी लोगों से कोई रिश्ता नहीं होगा. इसके आलावा बीजेपी जम्मू कश्मीर घाटी में महिला वोटरों पर भी विशेष नजर रखी हुई है. गृहमंत्री अमित शाह की बारामुला की रैली में बड़ी तादात में महिलाएं आई थी, जब शाह ने गैस सिलिंडर की बात की तो सबसे ज्यादा तालियां इसी पर बजी. अब वहां उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 2 सिलिंडर दिए जा रहे है. एक सिलेंडर राज्य प्रशासन अपनी तरफ से दे रहा है. ठंड के मौसम में लकड़ियों की व्यवस्था करना काफी मुश्किल होता है, इसलिए 2 सिलिंडर महिलाओं के लिए एक तरह से वरदान ही साबित हो रहा है.
घाटी में शांति और सुरक्षा
बीजेपी घाटी के लोगों में ये विश्वास बहाल करने की पुरजोर कोशिश कर रही है कि पार्टी के नेतृत्व में वहां शांति और सुरक्षा बहाल रहेगी. इसी क्रम में गृहमंत्री अमित शाह की बारामुला में रैली आयोजित हुई जहां कोई केंद्रीय स्तर का नेता खासकर कैबिनेट मंत्री 35 साल बाद पहुंचा था वो भी मंच से बुलेटप्रूफ कवर हटवाकर. अजान के वक्त भाषण रोककर गृहमंत्री ने ये भी संदेश देने की कोशिश की बीजेपी सभी धर्मों का सम्मान करती है. कश्मीर घाटी में खासकर आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले बारामुला में लगभग 40 हजार लोगों ने राष्ट्रगान गाया, उससे संदेश गया कि अब कश्मीर भी देश की मुख्यधारा से कदमताल मिलाना चाहता है. इस बार पहली बार ऐसा हुआ कि श्रीनगर में न दुकानें बंद हुईं, न हुई हड़ताल,एलओसी के करीब सभा से पाकिस्तान तक साफ संदेश गया.
शाह ने रैनावाड़ी और उरी सेक्टर में जाकर दुनिया को दिखाया कि 370 हटने से श्रीनगर का रैनावाड़ी मुहल्ला बदल चुकी है. यह वही रैनावाड़ी मुहल्ला है, जहां 3 दशक पहले 19 जनवरी 1990 की रात हजारों कश्मीरी पंडितों को आतंकवादियों की धमकी के कारण भागना पड़ा था. यही वो इलाक़ा है जहां सबसे ज़्यादा पत्थरबाजी और अशांति देखी जाती थी. पत्थरबाजी और ग्रेनेड अटैक के लिए श्रीनगर का रैनावाड़ी क्षेत्र कुख्यात रहा है. शहीद हुए पुलिसकर्मी मुदासिर शेख को श्रद्धांजलि देने के लिए गृहमंत्री ने श्रीनगर से 100 किमी दूर उरी में उनके घर पहुंचकर बड़ा संदेश दिया. इसके लिए लगभग 1200 फीट ऊंचाई पर पैदल चलकर गृहमंत्री पहुंचे थे.