तेलंगाना में BJP ने चली बड़ी चाल, एक वादे ने बदला चुनावी समीकरण, जानिए कैसे बनेगी किंगमेकर?

हैदराबाद : में सीएम के चंद्रशेखर राव पर अपनी सरकार बचाने की चुनौती है तो 15 साल बाद तेलगू राज्य में सत्ता हासिल करने के लिए मशक्कत कर रही है। इन दोनों पार्टियों के अलावा में बीजेपी भी बड़ी जीत की उम्मीद लगाए बैठी है। कर्नाटक में सत्ता से बेदखल होने के बाद बीजेपी ने तेलंगाना में कदम बढ़ा रही है। 119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 60 है। के. चंद्रशेखर राव यानि को अपनी स्कीम रायतू बंधु, आरोग्य रक्षा, अन्नपूर्णा योजना के अलावा 400 रुपये में गैस सिलिंडर और महिलाओं को 3000 रुपये देने का वादे पर भरोसा है। कांग्रेस भी महिलाओं के लिए महालक्ष्मी योजना लेकर चुनाव मैदान में उतरी है। बीजेपी ने मुफ्त की योजनाओं के साथ परिवारवाद और मुस्लिम आरक्षण को भी चुनावी मुद्दा बनाया है। पिछले चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने तेलंगाना में जिस तरह वोट हासिल किए हैं, उससे वह किंग तो नहीं मगर किंग मेकर वाली स्थिति हासिल कर सकती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ एक सीट हासिल हुई थी। गोशामहल सीट से टी राजा सिंह ही चुनाव जीतने में सफल रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पहली बार संजीवनी मिली। पार्टी ने 19.65 फीसदी वोट हासिल किए और चार लोकसभा सीटों पर कब्जा किया। 2018 में उसका वोट प्रतिशत 6.98 प्रतिशत था। लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी ने तेलंगाना में अपनी रणनीति बदली और केसीआर से राजनीतिक दोस्ती को खत्म कर लिया। 2020 में ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन के चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटें जीतकर अपनी बढ़ती धमक का ऐलान कर दिया। बंडी संजय की यात्रा से बदला गेम, बीजेपी के प्रचार में आया दम चुनाव में जीत के बाद केसीआर पर हमले के लिए बंदी संजय कुमार को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। बंदी संजय ने 82 दिन में प्रजा संग्राम यात्रा के जरिये एक हजार किलोमीटर की पदयात्रा की। संजय बंदी ने अपनी पदयात्रा के दौरान कालेश्वरम प्रोजेक्ट में करप्शन और परिवारवाद के जरिये केसीआर पर सीधा हमला बोला। बंदी संजय की अग्रेसिव कैपेंनिंग ने तेलंगाना की राजनीति में किनारे-किनारे चल रही बीजेपी को मेन स्ट्रीम में ला दिया। हालांकि पिछली जुलाई में पार्टी के अंदरुनी कलह के कारण बीजेपी ने सौम्य छवि वाले जी.किशन रेड्डी को चुनाव से ऐन पहले तेलंगाना का प्रभार सौंप दिया। इस बदलाव के बाद बीजेपी ने केसीआर विरोध के फार्मूले को कायम रखा, साथ ही उसमें हिंदुत्व वाला एंगल भी जोर दिया। बंदी संजय एक बार फिर विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। उन्होंने चुनाव के दौरान एक बार फिर यात्रा शुरू कर बीजेपी को फिर से गेम में वापस कर दिया है।तेलंगाना में सभी 119 सीटों पर चुनाव लड़ रही है बीजेपी विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के सभी बड़े नेता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा लगातार केसीआर पर वंशवाद और करप्शन को लेकर हमले करते रहे। 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में केसीआर दो विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी ने उनके खिलाफ गजवेल विधानसभा सीट से ईटाला राजेंद्र जैसे धाकड़ नेता को उतार दिया। के. चंद्रशेखर राव को सीधी चुनौती देकर बीजेपी ने कांग्रेस को भी चुनौती दे दी। नतीजा यह रहा कि केसीआर के दूसरे चुनाव क्षेत्र कामारेड्डी से कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रेवंत रेड्डी को खुद मैदान में उतरना पड़ा। में अपने सहयोगी जनसेना के साथ सभी 119 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।45 सीटों पर बीजेपी का पलड़ा भारी, वोटिंग पर नजरें टिकीं एक्सपर्ट मानते हैं कि राज्य की 45 सीटों पर बीजेपी का प्रदर्शन बेहतर होगा। अभी तक आए ओपिनियन पोल के अनुसार बीजेपी को 7-8 सीटें मिल सकती है। प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने दावा किया कि इस बार बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ेगा। एक्सपर्ट मानते हैं कि तेलंगाना में बीजेपी की मौजूदगी से कांग्रेस को तगड़ा नुकसान हो सकता है। पार्टी भी राज्य में मुख्य विपक्षी दल की हैसियत हासिल करना चाहती है। तेलंगाना विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएआईएम 7 सीटें जीतती रही है। मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा गरम होने के बाद बदले समीकरण में कांग्रेस और बीआरएस के 45-55 सीटें मिल सकती हैं। चुनाव नतीजों में अगर बीजेपी को करीब 20- 25 सीटें मिलीं तो सत्ता की चाबी उसके पास आ जाएगी। तेलंगाना में 30 नवंबर को वोटिंग होगी। 3 दिसंबर को नतीजे घोषित होंगे।