रामपुर के ‘महल’ से जीत का नूर तलाश रही भाजपा, अखिलेश और आजम को मिलने वाला है बड़ा झटका?

रामपुर: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होने जा रही है। रामपुर विधानसभा सीट (Rampur By Election 2022) जीतने के लिए राजनीतिक दल जोर लगा रहे हैं। ऐसे में इस सीट पर सियासी माहौल को जानने की कोशिश की गई। रात के तकरीबन 10:30 बजे हैं। नूर महल का फाटक बंद है। बाहर से दिख रही शांति भीतर की चहल-पहल का आभास नहीं होने देती। भीतर दाखिल होते ही दाहिनी ओर जैसे ही बैठक में नजर पड़ती है तो रामपुर के नवाब और हाल ही में कांग्रेस से निष्कासित पूर्व विधायक काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां बेहद सक्रिय दिखाई देते हैं, उनके अपने कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा के भी कुछ कार्यकर्ता बैठे हैं और वह उन्हें अगले दिन की कार्ययोजना समझा रहे हैं। दरवाजे के बाहर उनके निजी सचिव काशिफ खड़े हैं और नजर बनाए रखे हैं कि किसे भीतर भेजना है और बाहर निकलने वाले को और क्या बताना है।

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से नूर महल भाजपा का हिमायती हो गया है। भाजपा को भी इसमें अपना फायदा दिख रहा है। यही नहीं, कुछ दिनों से तो नवेद मियां मंच से भाजपा प्रत्याशी आकाश सक्सेना के समर्थन में तकरीरें भी कर रहे हैं। वहीं, रामपुर की फिजाओं में इस बात का भी जिक्र खूब है कि भाजपा के उभार में नवाब घराना आजम से मिले जख्मों का मरहम तलाश रहा है।

लंबे वक्त तक 10 हजार वोट तक सिमटी रही भाजपा

’77 में आजम खां ने जब रामपुर की सियासत में इंट्री की तो पहला चुनाव भले ही वह हार गए थे, लेकिन सियासी हलकों में अपना असर छोड़ने में सफल रहे। तब से वह अपनी जमीन और मजबूत करते चले गए। नवाब घराना कमजोर होता गया। भाजपा के लिए इस मुस्लिम बहुल सीट पर अपनी पैठ बना पाना मुश्किल ही रहा। आकाश सक्सेना कहते हैं कि लंबे वक्त तक भाजपा दस हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाई, लेकिन साल 2017 में उनके पिता शिव बहादुर सक्सेना को स्वार सीट की जगह रामपुर से उतारा गया। इस चुनाव में शिव बहादुर को 55 हजार से ज्यादा वोट मिले थे। जब 2022 के विधानसभा चुनाव में आकाश को टिकट मिला तो भाजपा को मिले वोटों का आंकड़ा 76 हजार तक पहुंच गया।

भाजपा टुकड़े-टुकड़े में जोड़ रही वोट

रामपुर के तमाम जानकारों की मानें तो बीते छह साल में भाजपा ने टुकड़ों में अपने लिए वोट जोड़े हैं। हर बिरादरी में सेंध लगाई है। नवाब घराने को भी उसी नीति के तहत साथ लिया गया है। उनके भी वोटों को भाजपा के हिस्से में लाया जा रहा है। पिछली बार जब आकाश को 76 हजार वोट मिले थे, तब आजम के हिस्से 1.31 लाख वोट आए थे। आकाश को भले पिता से ज्यादा वोट मिले थे, लेकिन उनकी हार का मार्जिन भी उनसे ज्यादा था। ऐसे में भाजपा अपने लिए हर तबके से वोट जुटा रही है। जो भी नेता आ रहे हैं, उन्हें उनकी जाति के बहुलता क्षेत्र में वोट मांगने के लिए ले जाया जा रहा है।

कांग्रेस के किनारे से ‘स्वतंत्र’ हो गए काजिम

साल 2022 के विधानसभा आम चुनाव के बाद कांग्रेस ने न तो रामपुर के लोकसभा उपचुनाव में हिस्सा लिया और न ही इस विस उपचुनाव में प्रत्याशी उतारा। कांग्रेस के इसी किनारे ने काजिम का रास्ता भाजपा की तरफ मोड़ दिया। लोकसभा उपचुनाव में भी उन्होंने भाजपा की मदद तो की, लेकिन वह इतना खुलकर नहीं थी। उन्होंने प्रत्याशी न उतारने पर कांग्रेस नेतृत्व को पत्र भी लिखा था। इस बार भी जब कांग्रेस ने उम्मीदवार नहीं घोषित किया तो उन्होंने क्षेत्रीय राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में जाना ज्यादा बेहतर समझा। इस बार उन्होंने न केवल अपील की, बल्कि मंच भी साझा कर रहे हैं। हालांकि इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें छह साल के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया।