बिहार: महागठबंधन में भर गया मतभेद का घड़ा? जानिए इनसाइड स्टोरी

पटना: महागठबंधन के भीतर मतभेद का घड़ा क्या भर चुका है। इन दिनों लगातार जनता दल यू (जेडीयू) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। लगातार कोई न कोई मुद्दा लेकर जेडीयू और आरजेडी के नेता एक दूसरे के विरोध में अपना-अपना गदा भाजने में लगे हैं। हद तो यह है कि इस बार राजद सुप्रीमो के काफी करीबी नेता एमएलसी सुनील कुमार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र में रखकर जनता के डोमेन में ऐसा सवाल रख डाला कि नीतीश कुमार के व्यक्तित्व की धज्जियां उड़ा दी। हालांकि बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सीएम नीतीश कुमार डेप्युटी सीएम तेजस्वी यादव के साथ विधान मंडल पहुंचे। माना जा रहा है कि इसके जरिए दोनों नेताओं ने संदेश देने की कोशिश की कि गठबंधन में सबकुछ ठीक है।क्या था सवाल जो सीएम को चरित्र प्रमाण दे डाला?दरअसल, इस बार राजद नेता एमएलसी सुनील कुमार ने फेसबुक पर एक सवाल पोस्ट करते पूछा कि ‘अगर यूपीएससी में यह सवाल पूछा जाए कि देश का सबसे अविश्वसनीय राजनेता कौन हैं तो इसका जवाब क्या होगा?’ राजद विधान पार्षद के सवाल के जवाब में 90 फीसदी से अधिक लोगों ने नीतीश कुमार को ही अविश्वसनीय नेता बताया। एमएलसी सुनील कुमार के इस प्रश्न और जवाब से जदयू सकते में आ गई। बात जब काफी बढ़ने लगी तो राजद नेता ने फेसबुक से पोस्ट हटा दिया। पर राजद ने जाने अंजाने में अपने भीतरिया मकसद को पूरा कर लिया जो कहीं न कहीं नीतीश कुमार के चेहरे के विरुद्ध सर्वेक्षण माना जा रहा है। बात यहीं नहीं रुकी। राजद की ओर से उठाए गए मुद्दे को भाजपा नेताओं ने आगे बढ़ाकर नीतीश कुमार की फजीहत बढ़ा दी। भाजपा प्रवक्ता डॉ. निखिल आनंद ने उक्त सवाल को एक बार फिर पोस्ट कर दिया कि राष्ट्रीय जनता दल आरजेडी के विधान परिषद् सदस्य सुनील कुमार सिंह की ओर से फेसबुक पर पूछे गए सवाल का जवाब दें। और फिर इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार के अविश्वसनीय चेहरा पर हमले करने का मौका मिल गया।मंत्री चंद्रशेखर और अधिकारी केके पाठक के बीच घमासानविवादों के विरुद्ध राजद और जदयू नेताओं के बीच तलवारबाजी का यह कोई पहला मौका नहीं है। हाल ही में शिक्षा मंत्री और अधिकारी के के पाठक के बीच अधिकार को लेकर घमासान आज भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजद गर शिक्षा मंत्री का पक्ष ले कर अधिकारी केके पाठक पर निशाना साध रहे हैं और उधर जदयू के कई नेता केके पाठक को ईमानदार और सक्षम नेता बता रहे हैं। इस मामले में राजद और जदयू के बीच बढ़ी खटासशिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और केके पाठक के मुद्दे पर राजद और जदयू आमने-सामने हो गये। जदयू कोटे से नीतीश सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने केके पाठक के पक्ष में कहा है कि वह नियम-कानून से चलने वाले ईमानदार अधिकारी हैं। कड़क अधिकारी हैं। इस राज्य में जो भी अधिकारी हैं कानून के हिसाब से काम करते हैं। मिनिस्टर अगर कानून को तोड़ेंगे तो मिनिस्टर भी नप सकते हैं तो अधिकारी क्या है। राजद के विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा है कि केके पाठक शिक्षा मंत्री की फजीहत कराते हैं। मनमर्जी का काम करते हैं। मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को उन्हें बाहर निकाल देना चाहिए। वे जानबूझ कर विभाग को बदनाम कर रहे हैं। रामायण को लेकर भी छिड़ी थी जुबानी जंगजदयू के भी कई नेता शिक्षा मंत्री के इस बयान के विरुद्ध खड़े हो गए। नालंदा विश्वविद्यालय के एक दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामायण को लेकर ऐसी विवादित बयान दे डाला कि राजद नेता और जेडीयू नेताओं के बीच तकरार होने लगा। तब शिक्षा मंत्री ने तुलसीदास की रामचरितमानस को समाज में नफरत फैलाने वाला बताया था। रामचरितमानस और मनुस्मृति समाज को विभाजित करने वाली पुस्तके हैं। शिक्षा मंत्री के इस बयान पर आपसी द्वंद इतने बढ़ गए कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को हस्तक्षेप करना पड़ा। बहरहाल, शिक्षा मंत्री और केके पाठक के बीच तनातनी के माहोल में एमएलसी सुनील कुमार का सर्वेक्षण अभियान से जदयू के भीतर काफी नाराजगी है। चर्चा यह है कि तेजस्वी यादव आज विदेश से लौटते ही इन सारे मसलों पर निर्णय लेंगे। वैसे भी राजनीतिक गलियारों में यह कहा जा रहा है कि पिछली बार जब राजद का दामन तब छोड़ा था जब नीतीश कुमार ने एक मामले में चार्जशीटेड हो गए थे और तब नीतीश कुमार ने उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से बिंदुवार जवाब मांगा था। जब उधर से कोई जवाब नहीं आया तो उन्होंने राजद से नाता तोड़कर भाजपा के साथ सरकार बनाया। आज फिर जमीन दो और नौकरी लो के मामले में चार्जशीटेड हो गए हैं। क्या भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाले नीतीश कुमार इस बार भी राजद से नाता तोड़ेंगे?बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन राज्यसभा सांसद सुशील कुमार और नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने भी मजबूती से कहा कि नीतीश कुमार चार्जशीटेड तेजस्वी यादव से इस्तीफा लें। विजय सिन्हा ने पिछली बातों को याद दिलाते हुए कहा है कि नीतीश कुमार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जीरो टालरेंस अपनाते रहे हैं, इसलिए वह तेजस्वी यादव को भी कैबिनेट से बर्खास्त करें।