चीन के साथ बॉर्डर पर डील करने को बेकरार है भूटान, जानिए क्‍यों है भारत के लिए टेंशन वाली बात

थिम्‍पू: भूटान वह छोटा सा देश जो भारत और चीन के बीच बसा है। भारत की ही तरह इस देश के भी चीन के साथ काफी सीमा विवाद हैं। बीबीसी की एक रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो जिस तरह से अंतरराष्‍ट्रीय राजनीति में चीन का कद बढ़ रहा है, उसके बाद भूटान पर यह दबाव बढ़ गया है कि वह ड्रैगन के साथ एक बॉर्डर डील कर ले। मगर यह तभी हो पाएगा जब उसे साथी भारत की तरफ से मंजूरी मिल पाए। भारत और भूटान के काफी करीबी रिश्‍ते रहे हैं। भारत पिछले कई सालों से अपने इस दोस्‍त को कई लाख डॉलर वाली आर्थिक और सैन्‍य सहायता मुहैया करा रहा है। डोकलाम पर खतरा भूटान और चीन के बीच पश्चिम और उत्‍तर में कई क्षेत्रों में मौजूद सीमा पर विवाद जारी हैं जो कई दशक पुराने हैं। कई विवादित क्षेत्रों के बीच डोकलाम वह जगह है जो भारत, भूटान और चीन के बीच स्थित है। भूटान और चीन दोनों ही इस जगह पर दावा करते हैं जबकि भारत हमेशा भूटान की स्थिति का समर्थक रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो भूटान का समर्थन करने की कई वजहें भारत के पास हैं। डोकलाम सुरक्षा और रणनीति के लिहाज से भारत के कई अहम हे। इस क्षेत्र में चीन का किसी भी तरह का दबाव सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर खतरा पैदा कर सकता है जिसे चिकेन्‍स नेक के नाम से जानते हैं। 22 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर भारत को इसके उत्‍तरी-पूर्वी राज्‍यों से जोड़ने का काम करता है। हाल ही में भूटान के प्रधानमंत्री लोटे शेरिंग ने ल्जियम के अखबार लिब्रे बेल्जिक के साथ बातचीत में इस बात को मानने से इनकार कर दिया है कि उनकी सीमा में चीन ने 10 नए गांव बना लिए हैं।डोकलाम में खत्‍म हुई रूचि भूटान के पीएम ने यह उम्मीद भी जताई कि भूटान और चीन एक या दो बैठक में अपनी कुछ सीमाओं का सीमांकन करने में सक्षम होंगे। दोनों देश सन् 1984 से सीमा वार्ता कर रहे हैं। उनकी टिप्पणियों ने भारत की चिंताएं बढ़ा दीं। कई विशेषज्ञों ने भूटान और चीन के साथ ट्राई-जंक्शन को शामिल करने वाले किसी भी समझौते की संभावना पर चिंता जताई है।कुछ विशेषज्ञों की मानें तो भूटान, डोकलाम पर अपने दावों पर कोई खास जोर नहीं दे रहा है।बीबीसी के साथ बातचीत में पूर्व वरिष्ठ भारतीय राजनयिक और हिमालयन मामलों के विशेषज्ञ पी स्टोबदान ने कहा, ‘भारत चिंतित है कि चीन उसे परेशान करने के लिए सीमा तय करने के लिए भूटान पर दबाव बना रहा है।’ उनका कहना था कि यह साफ है कि भूटान अपने मतभेदों को जल्‍द से जल्‍द हल करना चाहता है। पीएम ने दी सफाई पीएम लोटे शेरिंग की टिप्‍पणियों के बाद जब भारत की मीडिया में हंगामा हुआ तो उन्‍होंने इस पर सफाई दी। उनका कहना था कि उन्‍होंने कुछ भी नया नहीं कहा है और भूटान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। शंघाई इंस्‍टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल स्‍टडीज में सीनियर फेलो ल्‍यू झोंग्‍यी के मुताबिक चीन और भूटान साल 1996 के आसपास एक अंतिम समझौते पर पहुंचने के करीब थे, लेकिन भारत के हस्तक्षेप के कारण विफल रहे। भूटान-चीन सीमा के मुद्दे सीमा पर भारत-चीन के दशकों पुराने तनाव से भी जुड़े हैं। भूटान के वांग्चा सांगे जैसे विशेषज्ञों को लगता है कि अगर भारत की तरफ से कोई जोर न हो तो फिर उनका देश चीन के साथ सीमा समझौता कर सकता है।