भारत जोड़ो यात्रा: चौंका देती हैं तमाम चुनौतियों से जूझकर आगे बढ़ रहे यात्रियों की कहाानियां

नई दिल्‍ली (dailyhindinews.com)। भारत जोड़ो यात्रा कोई आसान सफर नहीं है। खास तौर से उन यात्रियों के लिए तो काफी मुश्किल है जिन्हें सेहत को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। उन्हें कई किस्म की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि हर राज्य का मौसम अलग है। यात्रियों को शारीरिक फिटनेस के साथ-साथ उन्हें अपने मन को भी शांत रखना होता है। राहुल गांधी के साथ यूं तो हर जगह हजारों और कहीं-कहीं तो लाखों लोग इस यात्रा से जुड़ रहे हैं, लेकिन बहुत से ऐसे भी हैं जो लगातार इस यात्रा में पहले दिन से शामिल हैं।

हालांकि फिटनेस और साहस को लेकर मुख्य फोकस राहुल गांधी पर है, लेकिन 120 यात्री ऐसे हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों से आए हैं, उनके सामने भी स्वास्थ्य की चुनौतियां हैं। इनमें से बहुत से यात्री ऐसे हैं जो यात्रा के दिल्ली पड़ाव में 8 दिन की छुट्टी में भी घर नहीं गए। उन्होंने इस दौरान सर्द मौसम में रहकर अपने शरीर को आने वाले यात्रा के चरण के लिए तैयार किया। दिल्ली में इन दिनों पारा काफी नीचे है। और अब यात्रा जिन हिस्सों में दाखिल हो रही है, वहां पारा और नीचे जाने की संभावना है।

अधिकांश यात्रियों ने एक्सरसाइज और योग को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बना लिया है। वे हर रोज नियमित एक्सरसाइज यानी व्यायाम करते हैं और बढ़ती सर्दी और गिरते पारे के लिए अपने शरीर और मन को तैयार करते रहे। यात्रा यूपी में दाखिल हो रही है और वहां पहले से ही ठिठुरन वाली सर्दी है। कई इलाकों में कोहरा और शीतलहर का प्रकोप भी है, लेकिन यात्री खुली बांहों से इस मौसम को आत्मसात करने के लिए तैयार हो चुके हैं।

एक यात्री हैं नंदा म्हात्रे। वे भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ कन्याकुमारी से ही जुड़ू हुई हैं और कश्मीर तक पूरे 3.500 किलोमीटर चलेंगे। म्हात्रे महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले की हैं, जोकि समुद्र के किनारे वाला हिस्सा है और आमतौर पर साल भर तक मौसम गर्म ही रहता है।

वे कहती हैं, शुरु में तो चलने में थोड़ी दिक्कत हुई, क्योंकि मैं थोड़ा भारी शरीर की हूं। दरअसल यात्रा के पहले ही चरण में मेरा वजन 6-7 किलो कम हो गया है। और हर राज्य में बदलते मौसम में हमने अपने शरीर को मौसम के हिसाब से ढालना शुरु कर दिया है और उसी के मुताबिक खानपान भी बदला है। लेकिन यह सर्द मौसम मेरे लिए एकदम नया है। सर्दी से मुकाबला सिर्फ शारीरिक फिटनेस से ही नहीं होता, इसके लिए मन-मस्तिष्क को भी साधना पड़ता है।

नंदा बताती हैं कि जब उन्हें यात्रियों की सूची में शामिल किया गया था तो उन्हें लगा था कि वे कुछ दिन यात्रा में रहेंगी और उसके बाद वापस आ जाएंगी। लेकिन अब वे खुद को बदला हुआ पाती हैं। वे बताती हैं, केरल में जब हम थे तो तीन दिनों तक लगातार बारिश हो रही थी। बारिश में चलना बहुत मुश्किल होता है। मौसम अचानक बदल गया था। पैरों में छाले भी पड़ गए थे और बमुश्किल ही चल पा रही थी।

नंदा तीसरे दिन ही यात्रा छोड़ना चाहती थी। लेकिन इसके बाद उन्‍होंने राहुल गांधी को देखा जो बिना थके उन्हीं हालात में चले ही जा रहे थे। नंदा कहती हैं कि भारत जोड़ो यात्रा तो अब उनकी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन चुकी है और वे आखिर तक इस यात्रा में रहेंगी।

नंदा ने तो मौसम के साथ माइंड गेम खेल लिए, लेकिन डॉ मनोज उपाध्याय अभी भी दिल्ली की ठिठुरन वाली सर्दी से जूझ रहे हैं। वैसे भी डॉ उपाध्याय फिजिकल फिटनेस पर ध्यान देने वाले व्यक्ति नहीं थे। वे बताते हैं, मैं किसी तरह अभी तक यात्रा के साथ हूं, मुझे अभी भी बुखार है और दवा ले रहा हूं। मैं इतने कम तापमान या इतनी सर्दी का आदी नहीं हूं।

वे बताते हैं कि यात्रा का पहला चरण उनके लिए काफी मुश्किल था। उनके पैरों में भी छाले पड़ गए थे, लेकिन अभी तक तो वे चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पैरों में छालों के साथ 5 किलोमीटर चलना भी चुनौती है। लेकिन इसके बाद उन्हें लगा उन्होंने गलत जूते पहने हैं। वे दर्द की दवा लेकर यात्रा के साथ कदमताल कर रहे हैं।

डॉ उपाध्याय बताते हैं, राहुल जी कैंप में आए और मुझे सुझाव दिया कि मैं प्रोटीन डायट और कैल्शियम टैबलेट लूं, इससे स्वास्थ्य अच्छा बना रहेगा। शाकाहारी होने के नाते इतना स्ट्रेस लेना और कई किलोमीटर चलना मुश्किल है। कैंप के डॉक्टर ने सलाह दी कि मुझे अपने खाने में अंडे शामिल करने चाहिए। लेकिन राहुल जी ने मुझे अपने नियमित शाकाहारी भोजन पर ही रहने की सलाह दी और साथ ही कहा कि मैं पनीर, सोयाबीन और दूध की मात्रा बढ़ा दूं। और अब तक मैं यात्रा के साथ हूं और कश्मीर तक जाने का इरादा है।”डॉ उपाध्याय ने जो थर्मल वियर गारमेंट और लैदर जैकेट रखी है और वे अब यात्रा के दूसरे चरण के लिए तैयार हैं।

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