चंडीगढ़: पंजाब के पूर्व डीजीपी वी.के. भावरा ने केंद्रीय एडमिनिस्ट्रेशन ट्रिब्यूनल (कैट) के एक फैसले को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है। कैट ने पंजाब के डीजीपी गौरव यादव की नियुक्ति को सही ठहराते हुए भावरा की याचिका को खारिज कर दिया था। पूर्व डीजीपी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि सरकार की ओर से उनसे अवैध काम करवाने को कहा था। साथ ही सत्ता में आते ही उन्हें अहम लोगों पर केस दर्ज करने और इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया। अदालत ने इस मामले में डीजीपी गौरव यादव और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई चार जुलाई तय की गई है। भावरा ने अपनी याचिका में कहा है कि जैसे ही भगवंत मान की अगुवाई वाली आप सरकार ने चार्ज संभाला था। उसके बाद से ही उन पर दबाव था कि वह इस पद को छोड़ दें। इसके बाद उन्हें हटा दिया गया। ऐसा करते समय ट्रांसफर के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय नियमों का उल्लंघन किया गया। उन्होंने याचिका में कहा कि सरकार ने उस समय उन पर दबाव डाला था कि राज्य के बाहर के कुछ लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। उन्होंने अदालत में साफ किया है कि उनकी नियुक्ति सही नियमों के तहत हुई थी। उन्हें इस पद से इसलिए हटाया गया, क्योंकि उनकी नियुक्ति पिछली सरकार के समय में हुई थी।कौन हैं वीके भावरावीके भावरा 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। पंजाब पुलिस के चीफ के तौर पर नियुक्ति के लिए यूपीएससी ने 2020 और 2022 में उनकी सिफारिश की थी। उन्होंने अपने 35 साल के लंबे करियर में विभिन्न बड़े पदों पर काम किया है। भावरा ने इंटेलिजेंस, प्रोविजनिंग एंड मॉर्डनाइजेशन, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी एंड टेलीकम्युनिकेशन और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में काम किया है। भावरा को उनकी सराहनीय सेवा के लिए पुलिस पदक और विशिष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।