नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री दिखाने के मामले में गुजरात हाई कोर्ट के फैसले के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कई सवाल पूछे। उन्होंने कहा कि गुजरात हाई कोर्ट का कल ऑर्डर आया कि देश के लोग प्रधानमंत्री की शैक्षणिक योग्यता के बारे में जानकारी नहीं ले सकते। इससे पूरा देश स्तब्ध है क्योंकि हम जनतंत्र में रहते हैं। यहां प्रश्न पूछने और जानकारी मांगने की आजादी होनी चाहिए। किसी का कम पढ़ा लिखा होना कोई गुनाह नहीं है। किसी का अनपढ़ होना गुनाह नहीं है, कोई पाप नहीं है। हमारे देश में इतनी गरीबी है। अपने घर की परिस्थितियों की वजह से बहुत लोग ऐसे हैं, जो नहीं पढ़ पाते। आगे सीएम ने बताया कि उन्होंने पीएम के डिग्री की जानकारी क्यों मांगी? कुछ देर बाद ही भाजपा के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पलटवार किया। उन्होंने कहा, ‘अरविंद केजरीवाल जी पूरी तरह से विक्षिप्त हो गए हैं। पता नहीं क्या क्या-उल्टा सीधा बोलते जा रहे हैं… निम्नता पर आ रहे हैं और कोर्ट से फटकार भी खा रहे हैं। उन्होंने जिस तरह की भाषा, शैली और भाव भंगिमा का इस्तेमाल किया है वो निम्नतम स्तर की है।’ क्या नाली की गैस से चाय बन सकती है?केजरीवाल ने कहा कि हमारे देश को आजाद हुए 75 साल हो गए। आज लोगों में बहुत बेचैनी है, लोग जल्दी से तरक्की चाहते हैं। 21वीं सदी का युवा महंगाई से छुटकारा और रोजगार चाहता है। ऐसे में देश के प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना बहुत जरूरी है। पर जब हम देखते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी जी के हर दूसरे-तीसरे दिन ऐसे बयान आते हैं जो देश को विचलित कर देते हैं। जैसे- एक उनका बयान आया कि नाली में से जो गैस निकलती है उस गै स से चाय बनाई जा सकती है। कोई भी जानकार आदमी, पढ़ा-लिखा आदमी इस किस्म की बात नहीं करेगा। एक बयान आया कि अगर किसी दिन बारिश हो रही है और बादल हैं तो बादलों के पीछे हवाई जहाज को रेडार नहीं पकड़ पाएगा। जिसने भी सुना उसे लगा कि ये क्या बात है। केजरीवाल बोले कि ये बात युवाओं ने सुनी तो उन्हें लगा कि प्रधानमंत्री को विज्ञान के बारे में कितनी कम जानकारी है। पीएम कनाडा गए और वहां कुछ कहने की कोशिश कर रहे थे ए प्लस बी स्क्वॉयर… ब्रैकेट स्क्वॉयर। किसी को कुछ समय में नहीं आया। पूरी दुनिया के सामने देशवासी काफी शर्मिंदा फील कर रहे थे। एक जगह वह बच्चों को संबोधित कर रहे थे। वह बच्चों को बता रहे थे कि ऐसा कुछ क्लाइमेट चेंज नहीं है। जबकि जलवायु परिवर्तन बहुत बड़ा सत्य है। अगर हमारे पीएम कहेंगे कि ग्लोबल वॉर्मिंग कुछ नहीं है तो उस पर ऐक्शन कैसे ले पाएंगे। दिल्ली के सीएम ने कहा कि ऐसे में संदेह होता है कि क्या हमारे देश के प्रधानमंत्री पढ़े-लिखे हैं और कितने पढ़े-लिखे हैं? प्रधानमंत्री एक वीडियो में कहते हैं कि वह ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं हैं। प्रधानमंत्री का पढ़ा-लिखा होना क्यों जरूरी है? उन्हें एक दिन में विज्ञान, अर्थव्यवस्था से संबंधित सैकड़ों फैसले लेने होते हैं। अगर पीएम पढ़े-लिखे नहीं होंगे तो अफसर और दूसरे लोग कहीं भी दस्तखत करा ले जाएंगे। उन्होंने नोटबंदी का उदाहरण देते हुए कहा कि देश 10 साल पीछे चला गया। अगर देश के पीएम पढ़े-लिखे होते तो किसी हालत में नोटबंदी नहीं करते। जीएसटी जिस तरह से लागू किया गया, इसने अर्थव्यवस्था का बेड़ा गर्क कर दिया। किसानों के तीन काले कानून लागू किए गए। जिस तरह बिना चर्चा किए कानून आए उससे समझ में नहीं आता कि किसने पीएम के कान भरे और कानून पास कर दिया। एक साल बाद कानून वापस लेने पड़े। सीएम ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के अंदर देश में 60 हजार स्कूल बंद कर दिए गए। इसका मतलब शिक्षा को तवज्जो नहीं दी जा रही है। एक अनपढ़ देश कैसे तरक्की करेगा? हाई कोर्ट के ऑर्डर ने प्रधानमंत्री की शिक्षा को लेकर संशय और बढ़ा दिया है। इस बात का लोगों को जवाब नहीं मिल पाया कि पीएम कितने पढ़े-लिखे हैं। अगर डिग्री है और वह सही है तो डिग्री क्यों नहीं दे रहे हैं। एक, हो सकता है क्योंकि अहंकार हो कि मेरी डिग्री मांगने वाले ये कौन होते हैं। और दूसरा प्रश्न यह उठता है कि डिग्री हो सकता है नकली हो, फर्जी हो। जनता के मन में बहुत से प्रश्न खड़े हो रहे हैं।