मुंबई: गर्भावस्था और कोरोना संक्रमण के कारण मुंबई में मातृ मृत्यु दर भले ही कम हो रही हो, लेकिन 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में मां बनने का जोखिम बढ़ रहा है। 2018 में 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में मातृ मृत्यु दर जहां 18 थी, वहीं 2022 में बढ़कर यह 29 हो गई। इसे नियंत्रित करने के लिए विशेषज्ञों ने ‘प्लान प्रेग्नेंसी’ का सुझाव दिया है। प्लान प्रेग्नेंसी के जरिये जहां मातृ मृत्यु को नियंत्रित किया जा सकता है, वहीं प्रेग्नेंसी भी सफल हो सकती है।गर्भावस्था के दौरान संक्रमण (सेप्सिस), रक्तस्राव, टीबी आदि के चलते मुंबई में मातृ मृत्यु दर अधिक थी। पिछले कुछ वर्षों में यह कम हुई है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, पांच साल पहले मुंबई में हर वर्ष औसतन 218 महिलाओं की प्रसव के दौरान मृत्यु होती थी, लेकिन बीते वर्ष यह संख्या घटकर 193 रह गई है।मातृ मृत्युदर बढ़ीसंख्याओं का अगर आकलन करें तो वर्तमान में हर दो दिन में एक मातृ मृत्यु हो रही है। कोविड काल में तो रोजाना औसतन एक महिला की प्रसव के दौरान मौत हो रही थी। मातृ मृत्यु दर के मामलों में अगर आयु वर्ग पर नजर डालें तो 35 साल से अधिक उम्र की महिलाओं में यह दर बढ़ रही है। जबकि अन्य आयु वर्ग की महिलाओं में यह कम देखी जा रही है। बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यहां जागरूकता बढ़ी है और इस कारण मातृ मृत्यु दर में कमी आई है।इन आयु वर्गों में मृत्यु का प्रमाण घटामुंबई में 20 से 35 वर्ष की उम्र में महिलाएं गर्भधारण करना पसंद करती हैं। 19 से 25 वर्ष की आयु में गर्भधारण को प्राथमिकता दी जा रही है। 19 से 35 आयु वर्ग में मातृ मृत्यु दर में कमी आने लगी है। वर्ष 2018 में 19 से 25 आयु वर्ग की माता मृत्यु दर 106 थी, जो वर्ष 2022 में घटकर 76 रह गई। इसी तरह 26 से 35 आयु वर्ग की मातृ मृत्यु दर 2018 में 92 थी, जो 2022 में घटकर 86 तक रह गई।बढ़ती आयु के साथ रिस्क भी अधिकवी.एन देसाई अस्पताल की सीनियर कंसलटेंट गायनेकोलजिस्ट डॉ. कोमल चव्हाण ने बताया कि बढ़ती उम्र में प्रेग्नेंसी के साथ रिस्क भी अधिक रहता है। बढ़ती उम्र में बीमारियां भी बढ़ जाती हैं। डायबीटीज, ब्लड प्रेशर आदि बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की प्रेग्नेंसी बहुत कम ही सफल हो पाती है। हाई रिस्क की वजह से इन आयु वर्गों में मातृ मृत्यु की संभावना अधिक रहती है। जेजे अस्पताल के गायनेकोलजी विभाग के प्रमुख डॉ. अशोक आनंद ने बताया कि 30 वर्ष की आयु तक पूरी फैमिली हो जानी चाहिए, लेकिन कुछ लोग करियर बनाने के चक्कर में गर्भधारणा देरी से करते हैं।ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ कई महिलाएं बदलती लाइफ स्टाइल की शिकार हो जाती हैं। इसलिए 30 के बाद गर्भवती होनेवाली महिलाओं को प्रेग्नेंसी प्लान करके करनी चाहिए। गर्भवती होने से पहले उन्हें पूरा हेल्थ चेकअप कराना चाहिए। अगर वे पूरी तरह फिट हैं, तो ठीक है। अगर नहीं हैं, तो उन्हें अपने शरीर मे पनप रही बीमारियों को कंट्रोल करके ही प्रेग्नेंसी प्लान करना चाहिए।