72 घंटे की समाधि के बाद बाहर निकले बाबा, सुनाई अपनी स्वर्ग लोक यात्रा की कहानी

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज 72 घंटे की भू-समाधि के बाद सोमवार को बाहर आ गए. तीन दिन तक सात फीट गहरे गड्ढे में तपस्या करने वाले बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि समाधि के समय मैंने बहुत अच्छा अनुभव किया. 11 असीम शक्तियां मेरे शरीर में प्रवेश कर रही थीं. मैं खुद नहीं समझ पा रहा था यह सब क्या हो रहा है? मेरे हृदय में, मेरे मस्तिक में सिर्फ और सिर्फ मां दुर्गा का प्रभाव था.
बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि तपस्या के समय ही मां दुर्गा मेरे सामने प्रकट हुईं. उन्होंने मुझसे बोला कि तू मेरे साथ चल. जो वचन तुमने मुझे दिया था, उसका पालन किया है. मैं तुझे स्वर्ग लोक की यात्रा कराती हूं. जब मां दुर्गा मुझे अपने साथ लेकर गईं तो पहले मैं समझ ही नहीं पाया कि कहां आ गया हूं. चारों तरफ घोर अंधकार था. मैं उसका व्याख्यान नहीं कर सकता. मां ने कहा कि पुत्र डर मत. मैं तुम्हारे साथ हूं. मैंने मां को प्रणाम किया और उनसे कहा कि मां मैं भयभीत नहीं हूं. मुझे आश्चर्य हो रहा है कि मैं कहां जा रहा हूं.
इस पर मां दुर्गा ने कहा कि पुत्र तू चिंता मत कर. तू सिर्फ देखता रह. मैं तुझे कहां-कहां लेकर जाती हूं. मां के साथ मैं और आगे बढ़ा तो दीप जैसा छोटा प्रकाश दिखाई दिया. उस प्रकाश का आकार बड़ा हुआ तो पूरा ब्रह्मांड में बदल गया. पूरे संसार में प्रकाश ही प्रकाश है. बहुत आनंद आ रहा था. जब मैं वहां पहुंचा तो मां से प्रश्न किया कि अंधकार कैसा था? इस पर मां ने उत्तर दिया कि पुत्र जो लोग निशक्त हैं, मदिरापान करते हैं, मांस का भक्षण करते हैं या दुराचारी हैं, पापी हैं, यह स्थान उनके लिए है.
सुंदर सरोवर में किया स्नान, हल्का हुआ मन
तुम जाकर प्रचार करना कि लोग सदाचारी बनें, धर्म के प्रति आस्था रखें और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ें. इसी से सभी की उन्नति होगी और भारत व पूरे विश्व की उन्नति होगी. बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि उससे और आगे बढ़ा तो सुंदर सा सरोवर दिखाई दिया. मां ने मुझे आदेश दिया कि पुत्र इस सरोवर में तुम स्नान कर लो. बहुत ही सुंदर सरोवर था. चिड़ियों की चहक, नाना प्रकार के पक्षियों के दर्शन हुए. बाबा ने कहा कि जो दृश्य कभी नहीं देखा, वह दृश्य वहां देखा. मां को प्रणाम करके जब मैं सरोवर में उतरा मुझे ऐसा लगा कि मेरा शरीर ही नहीं है. आत्मा कहीं और चली गई है. एकदम हल्का सा महसूस हो रहा था.
शिवलोक में चारों ओर छाए हुए थे बादल
बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि फिर माता ने मुझे सरोवर से बाहर आने का आदेश दिया. जब मैं बाहर आ गया तो जल का प्रभाव ऐसा था कि जल में जब तक था मैं भीगा हुआ था, जैसे ही बाहर आया पुनः वैसा ही हो गया. फिर मुझे मां ने रथ पर बिठाया और आगे लेकर गईं. माताजी ने कहा है पुत्र यह शिवलोक है. मैंने देखा तो चारों तरफ बादल छाए हुए हैं. बड़ा ही सुंदर दृश्य और ओम की ध्वनि वहां चल रही थी.
विष्णु लोक में दिखे नाना प्रकार के पक्षी
जब और आगे बढ़ा तो मां ने बताया यह विष्णु लोक है. विष्णु लोक में भी नाना प्रकार के पक्षी, नाना प्रकार के वन थे. भगवान विष्णु जगत के पालनहार हैं. वह जगत का पालन करते हैं. उसी प्रकार से वहां की व्यवस्था थी. और आगे बढ़ा तो ब्रह्मलोक में प्रवेश किया. तपस्याओं की आवाजें गूंज रही थीं, लेकिन पूरा ब्रह्मांड सिर्फ ओम आकार में ही बना हुआ है. बाबा पुरुषोत्तमानंद महाराज ने कहा कि भक्तों से मेरा निवेदन है कि सभी गलत आदतों को छोड़कर प्रभु की आस्था करें.