
कहां आ रही है दिक्कत?
किराया बढ़ने की एडवायजरी जारी होने के बाद ऑटो ड्राइवरों को नापतौल विभाग के कार्यालय में जाकर अपने मीटरों का री-वैल्यूएशन कराना होता है। यहआधे घंटे की प्रक्रिया है, जो मीटर सॉफ्टवेयर में बदलाव करती है। साथ ही वाहन मालिक को एक प्रमाण पत्र जारी करती है। अधिकारी का कहना है कि ‘यह प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं हो सकती है जब तक कि परिवहन विभाग उन्हें नहीं लिखता।’ अधिकारी का कहना है कि ‘परिवहन विभाग हमें रजिस्ट्रेशन सीरीज नंबर के अनुसार एक शेड्यूल देने वाला है। एक बार शेड्यूल हो जाने के बाद, हम री-कैलिब्रेशन प्रक्रिया के लिए ऑटो और टैक्सी बुलाना शुरू कर देंगे।’
दिल्लीवालो के लिए लाइफ लाइन है टैक्सी और ऑटो
दिल्ली में फिलहाल करीब 97,000 ऑटो और 12,000 पीली-काली टैक्सियां हैं। सूत्रों ने कहा कि आवश्यक सॉफ्टवेयर चेंजिस को पूरा करने के लिए तौल और माप विभाग को कम से कम 5 महीने लगेंगे। अधिकारियों ने कहा कि विभाग प्रत्येक वर्किंग डे पर लगभग 1,000 मीटर का री-वैल्यूएशन कर सकता है। उधर यात्रियों ने शिकायत है कि ऑटो चालकों खुले तौर पर उनसे अधिक किराया मांगते हैं। यह कहते हुए कि किराया 50-60% बढ़ गया था। स्कूल के टीचर वीनू सिंघल ने कहा, ‘न तो उनके मीटर संशोधित किराया दिखाते हैं और न ही उनके पास किराए की गणना करने के लिए कोई चार्ट है।’
जानिए ऑटो-रिक्शा असोसिएशन का पक्ष
दिल्ली ऑटो-रिक्शा चालक संघ के अध्यक्ष राजेंद्र सोनी ने कहा कि मीटरों के री-वैल्यूएशन की प्रक्रिया शुरू करने में देरी से बहुत भ्रम पैदा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘यात्री जोर देते हैं कि वे मीटर के अनुसार भुगतान करेंगे। जब कोई ड्राइवर मना करता है या नया किराया मांगता है, तो उस पर यात्री से अधिक किराया लेने का आरोप लगाया जाता है। उनका कहना है कि सरकार को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करना चाहिए।
सुनिए ऑटो चालक का दर्द
ऑटो चालक प्रदीप गुप्ता बताते हैं कि पैसेंजर्स के साथ किसी भी टकराव से बचने के लिए उनसे पुराना किराया ही लेना पड़ता है। हमें अपना घर चलाना है, जिसके चलते पुराने रेट पर किराया लेने को राजी हो जाते हैं। गुप्ता बताते हैं कि अगर वह किसी पैैसेंजर्स से नई दर से किराया मांगते हैं तो वह लड़ाई करने लगता है, कई बार पुलिस को शिकायत करने की धमकी भी दे देता है।