शिवपूजन सिंह, प्रयागराज: उमेश पाल किडनैपिंग केस में स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट में फैसला सुनाए जाने के बाद जहां अतीक अहमद गमजदा दिख रहा था। वहीं उसके सगे छोटे भाई अशरफ के चेहरे पर मुस्कुराहट तैर रही थी। इतना ही नहीं, कोर्ट से निकलते समय इन दोनों की बॉडी लैंग्वेज कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी। कोर्ट रूम से बाहर निकलते समय अतीक अहमद और अशरफ का कुछ वकीलों ने जो अपमान किया, वह किसी से छिपा नहीं है। फैसले से पहले और बाद में दोनों भाइयों के व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर देखने को मिला।बड़ा गमजदा, छोटा विजयी मुद्रा में नजर आया जिस कोर्ट परिसर में अतीक अहमद गमजदा थे, लड़खड़ा कर चल रहे थे, वहीं से निकलते समय अशरफ विजयी मुद्रा में बांहे भांज रहा था। किसी बड़े वीआईपी नेता की तरह अभिवादन कर रहा था। अतीक अहमद को 44 साल के आपराधिक जिंदगी में पहली बार उम्रकैद की सजा हुई। जबकि उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। यह फैसला हर उस शख्स को चौंकाता है जो अतीक और अशरफ को जानता है। जानकारों के मन मस्तिक में यह फैसला बहुत बड़ा सवाल बन चुका है। बड़ा खेल होने की जता रहे आशंका अशरफ के दोषमुक्त होने को लेकर कयास लगा रहे कि अभियोजन के समय पुलिस या उमेश पाल ने कोई बड़ा खेल तो नहीं किया। जो लोग उमेश पाल को बेहद करीब से जानते थे, उन्हें पता है कि वह भी बहुत दूर की सोच रखता था। उसने माफिया अतीक अहमद को चकरघिन्नी बना डाला था। ऐसे में हो सकता है कि अशरफ सहित उसके खास गुर्गों-फरहान, आबिद, आशिक उर्फ मल्ली, जावेद, इसरार और एजाज अख्तर को जानबूझ कर साइड किया गया हो। अभियोजन में ऐसी पैरवी की गई हो कि सारा किडनैपिंग का आरोप अतीक अहमद, दिनेश पासी और खान सौलत हनीफ पर ही सिद्ध हो। उमेश पाल किडनैपिंग केस के जजमेंट ऑर्डर से तो ऐसा ही लग रहा है।अतीक और असरफ दो अलग खेमे? इस केस के फैसले से अतीक अहमद एंड पार्टी और अशरफ एंड पार्टी दो अलग-अलग खेमें में लग रहे हैं। ऐसा उन जानकारों का कहना है जो दोनों को बहुत करीब से जानते हैं। इसके लिए कुछ खास तर्क भी देते हैं। पहला, जब प्रोडक्शन वारंट के तहत 28 मार्च को अतीक अहमद और अशरफ को हाजिर अदालत होना था। तब अतीक अहमद को साबरमती से लेने प्रयागराज पुलिस पहुंची तो सड़क मार्ग से जाने को वह बड़ी मुश्किल में तैयार हुआ। अतीक को मौत का खौफ इतना था कि कि प्रिजन वैन चढ़ते समय भी पीछे चला आ रहा था। पुलिस वालों ने पीछे से धक्का देखकर उसे वैन में चढ़ाया। अतीक ने मीडिया से साफ बोला कि कोर्ट का कंधा बनाकर उसकी हत्या कर दी जाएगी। साथ चल रहे पुलिस वालों ने भी माफिया के डर को देखा। गुजरात से प्रयागराज के रास्ते में जब भी गाड़ी तेज या धीमी होती, वह अंदर तक कांप जाता थाा। साथ ही मौजूद पुलिसवालों से जोर-जोर से सवाल करने लगता था। दूसरी ओर, अशरफ को प्रयागराज पुलिस से डर नहीं लगा। उसने मीडिया में अपने लोगों को रमजान की मुबारकबाद भी दी। पत्रकारों ने जब उससे सवाल पूछा तो उसने कहा- ‘मेरी गाड़ी पंचर थोड़ी है जो पलट जाएगी।’ खुद को पूर्व विधायक और राजनीतिक बताया। इससे एक बार तय है कि योगी सरकार की पुलिस से बाहुबली माफिया अतीक अहमद को तो डर लग रहा था, लेकिन अशरफ पूरी तरह से भयमुक्त था। उसे अच्छी तरह पता था कि उमेश पाल किडनैपिंग केस में उसके साथ कुछ बुरा न होगा। शाहिस्ता परवीन और जैनब अलग-थलग दिखीं दूसरा तर्क यह है कि अतीक अहमद की पत्नी शाहिस्ता परवीन के साथ अशरफ की पत्नी कभी साथ में मंच पर या मीडिया में रूबरू नहीं हुई। उमेश पाल हत्याकांड में शाहिस्ता परवीन और अन्य आरोपियों के फरारी के दौरान जैनब फातिमा ने मीडिया से बहुत नपी-तुली बातें बोलीं। अतीक, शाहिस्ता परवीन या असद पर सवाल करने पर ही कुछ बोलीं।अशरफ के पीछे नहीं आया कोई फैमिली मेंबर तीसरा तर्क यह है कि जब साबरमती से अतीक अहमद को प्रयागराज लाया जा रहा था तो उसकी बहन आयशा और वकील ही गुजरात से पीछे पीछे आए। बहन ने मीडिया में सिर्फ अतीक अहमद की जान को खतरा बता गाड़ी पलटने का अंदेशा जताया। अशरफ को लेकर उन्हें कोई डर नहीं था। अशरफ बरेली से प्रयागराज लाया गया तो साथ में कोई फैमिली मेंबर नहीं था। विधायक पूजा पाल ने किया खुलासा चौथा तर्क सबसे अहम है। उमेश पाल के यहां जब शोक जताने पहुंची सपा विधायक पूजा पाल को जब उमेश की बहन ने ताना दिया तो वह आपे से बाहर हो गईं। उन्होंने खुलासा किया कि उमेश अतीक के लोगों से मिल गया था। इसकी पुष्टि सीबीआई की जांच से होती है क्योंकि राजू पाल हत्याकांड के गवाहों में से उमेश पाल को अलग कर दिया गया था। वह अपना बयान बदल चुके थे। जानकारों का कहना है कि उमेश पाल की अशरफ के खास गुर्गों से पहले मिलीभगत थी। अपने किडनैपिंग केस में भले ही उमेश पाल ने अशरफ गैंग को अतीक अहमद के साथ जोड़ा था पर बाद में पुलिस जांच में ढिलाई बरत दी। रिमांड लेने के बाद भी अशरफ के पास से उसकी लाइसेंसी पिस्टल बरामद नहीं हुई। बयान में भी कुछ खास रोल साबित नहीं किया गया। इसी बीच जब उमेश पाल ने बीजेपी जॉइन किया तो उसका पूरा ध्यान फिर से अतीक अहमद को सजा दिलाने की ओर हो गया।दो सगे भाइयों के बीच खाई खोदने की साजिशसम्भवतः उमेश पाल अतीक अहमद और उसके मास्टरमाइंड साथियों को सजा दिलाने और अशरफ एंड पार्टी को पास आउट देकर एक बड़ी खाई खोदने की तैयारी में थे। इसमें उन्हें सफलता मिली या नहीं यह तो आने वाला समय बताएगा। वैसे भी अधिकांश लोग सीधे तौर पर कहते हैं कि अतीक अहमद के राजनीतिक करियर और उसके बाहुबली साम्राज्य को चौपट करने में अशरफ का अहम रोल है। चाहे वह मदरसा कांड हो, बसपा विधायक राजूपाल हत्याकांड रहा हो या अब उमेश पाल हत्याकांड, सभी ने अतीक अहमद गैंग का नुकसान ही किया है।