
श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर में आधी रात को इसरो के वैज्ञानिकों की धड़कनें बढ़ी हुई थीं। पहली बार भारत का सबसे भारी रॉकेट कॉमर्शियल मिशन के लिए उड़ान भरने वाला था। पीएसएलवी तो कॉमर्शियल मिशन को सफलता से अंजाम दे चुका है लेकिन जीएसएलवी के लिए ये इम्तिहान की घड़ी थी। घड़ी की सूइयों में जैसे ही आधी रात को 12 बजकर 7 मिनट का वक्त हुआ, GSLV Mk3 अपनी ऐतिहासिक उड़ान पर निकल गया। 5,796 किलोग्राम पेलोड के साथ। भारत में अबतक इतने वजनी पेलोड के साथ किसी रॉकेट ने उड़ान नहीं भरी थी। लिफ्ट ऑफ के करीब 20 मिनट बाद ही 601 किलोमीटर की ऊंचाई पर धरती की निचली कक्षा में सभी 36 सैटलाइट सफलता से स्थापित हो गए। इसके साथ ही इसरो ने कॉमर्शियल स्पेस सेक्टर में एक नया अध्याय लिख दिया। उसका सबसे वजनी रॉकेट अपने पहले कॉमर्शियल मिशन में कामयाब हो चुका था।
सैटलाइट जब रॉकेट से अलग हुए तो उन्हें श्रीहरिकोटा से देखा जा सकता था। जैसे ही 16 रॉकेट के पहले 4 बैच रॉकेट से अलग हुए, इसरो चीफ एस. सोमनाथ खुशी से चहक उठे। वह बोल उठे, ‘हमने दिवाली का जश्न पहले ही शुरू कर दिया है। अब रॉकेट उसी रास्ते पर है, जैसा हम चाहते थे।’
इसरो चेयरमैन सोमनाथ ने आगे कहा, ’36 में से 16 सैटलाइट उन कक्षाओं में स्थापित हो चुके हैं, जहां हम उन्हें डालना चाहते थे…बाकी के 20 सैटलाइट भी अलग होंगे लेकिन हम यहां से उन्हें देख तो नहीं पाएंगे, हां डेटा जरूर मिलेगा। यह एक ऐतिहासिक लॉन्च है क्योंकि LVM3 का ये दूसरा ऑपरेशनल मिशन और पहला कॉमर्शियल लॉन्च है।…हम एवीएम3 के अगले लॉन्च में भी 36 सैटलाइट भेजेंगे।’ दरअसल, वनवेब के 36 उपग्रहों के एक और सेट को जनवरी 2023 में कक्षा में स्थापित करने की योजना है।
वनवेब ब्रिटेन स्थित एक निजी उपग्रह संचार कंपनी है, जिसमें भारत की भारती एंटरप्राइजेज एक प्रमुख निवेशक और शेयरधारक है। वहीं, एलवीएम 3 एम2 रॉकेट 43.5 मीटर लंबा और 644 टन वजनी है। यह 8 हजार किलो वजन ले जाने में सक्षम है। इसरो के अनुसार, मिशन में वनवेब के 5,796 किलोग्राम वजन के 36 उपग्रहों के साथ अंतरिक्ष में जाने वाला यह पहला भारतीय रॉकेट बन गया है।