ASI करेगा ज्ञानवापी ‘शिवलिंग’ का सर्वे, इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले का मतलब समझ‍िए

नई दिल्‍ली: (Allahabad High Court) ने काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मस्जिद विवाद मामले (Gyanwadi Masjid Case) में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने ASI (भारतीय पुरातत्‍व सर्वेक्षण) को ‘शिवलिंग’ के कार्बन डेटिंग की इजाजत दी है। वाराणसी जिला जज के आदेश को दरकिनार कर हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। न‍िचली अदालत ने कार्बन डेटिंग जांच कराने से इंकार किया था। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति कायम रखने के आदेश के चलते किया गया था। निचली अदालत के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया कि शिवलिंग को क्षति पहुंचाए बगैर आधुनिक तौर-तरीकों के आधार पर ‘शिवलिंग’ की उम्र का पता लगाएं। हाईकोर्ट के इस फैसले का क्‍या मतलब है? यह फैसला किस आधार पर दिया गया? अब आगे क्‍या होगा? आइए, यहां समझने की कोशिश करते हैं। किस आधार पर हाईकोर्ट ने दिया फैसला? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद यह फैसला दिया है। उसने ज्ञानवापी सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग जांच और साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग को लेकर दायर याचिका स्‍वीकार कर ली। कोर्ट ने इस आधार पर अपना फैसला सुनाया कि एसएसआई बिना नुकसान पहुंचाए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग जांच करेगा। जस्टिस अरविंद कुमार मिश्र ने यह आदेश लक्ष्‍मी देवी और अन्‍य की याचिका पर दिया। कोर्ट में ASI ने क्‍या दिया भरोसा? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसआई के इस भरोसे पर आदेश दिया कि ‘शिवलिंग’ को नुकसान नहीं पहुंचेगा। कोर्ट ने एएसआई से पूछा कि क्‍या ‘शिवलिंग’ को नुकसान पहुंचाए बगैर कार्बन डेटिंग मुमकिन है। इसका जवाब एएसआई ने हां में जवाब दिया। उसने कहा कि बिना किसी नुकसान के ऐसा किया जा सकता है। क्‍या है इस आदेश मतलब? इस आदेश का मतलब कि अब एएसआई के लिए कार्बन डेटिंग जांच का रास्‍ता साफ है। यानी वह किसी तरह का नुकसान पहुंचाए बगैर शिवलिंग की जांच कर सकता है। इसके चलते शिवलिंग की उम्र का पता चलेगा। यह शिवलिंग के सच पर दूध का दूध और पानी का पानी कर देगा। मुस्लिम पक्ष दावा करता रहा है कि यह ‘शिवलिंग’ नहीं बल्कि एक फौव्‍वारा है। यह आदेश आशंकाओं को खत्‍म करेगा। 16 मई 2022 को मस्जिद परिसर में ‘शिवलिंग’ मिलने का दावा किया गया था। इसका एएसआई से साइंटिफिक सर्वे कराने की मांग को लेकर जिला अदालत में केस दाखिल हुआ था। यह और बात है कि कोर्ट ने याचिका को खारिज किया था। इसके पीछे उसने सुप्रीम कोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश का हवाला दिया था। इस आदेश को ही हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। कैसे हो जाएगा दूध का दूध और पानी का पानी? एक्‍सपर्ट्स कहते हैं कि कार्बन डेटिंग से ऐसी किसी चीज की उम्र का पता लग सकता है जिसमें कभी कार्बन रहा हो। लकड़ी, हड्डी, सीप और कोयला इत्‍यादि जैसी चीजों की कार्बन डेटिंग से आयु का पता लग जाता है। हर उस चीज की कार्बन डेटिंग हो सकती है जिसमें कार्बन के अवशेष रहे हों।