नई दिल्ली: कांग्रेस के दिग्गज नेता कमलनाथ बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं या नहीं? बीते 24 घंटे से यह सवाल सियासी गलियारों में छाया हुआ है। अब तक इस सस्पेंस से पर्दा नहीं उठा है। हालांकि ऐसी अटकलें हैं कि कमलनाथ का अपने सांसद बेटे नकुलनाथ के साथ बीजेपी में जाना लगभग तय है। कमलनाथ अपने बेटे नकुलनाथ के साथ दिल्ली में मौजूद हैं। उनके समर्थक करीब आधा दर्जन विधायक भी दिल्ली पहुंच गए हैं। उधर बीजेपी में कमलनाथ की एंट्री से पहले ही बीजेपी में घमासान छिड़ गया है। कुछ बीजेपी नेताओं का कहना है कि 1984 के सिख दंगों के ‘आरोपी’ कमलनाथ को पार्टी में लेने से सिख समाज के बीच गलत संदेश जाएगा। इसका दिल्ली और पंजाब सहित अनेक राज्यों में नुकसान हो सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि इस बार बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में 370 का टारगेट रखा है। ऐसे में बीजेपी कमलनाथ के लिए दरवाजे खोलने से पहले पंजाब और मध्य प्रदेश के चुनावी गणित का आकलन करेगी। पूरे नफा नुकसान के विश्वेषण के बाद ही कमलनाथ को बीजेपी में एंट्री मिल सकती है। ‘सिखों के हत्यारे के लिए बीजेपी में दरवाजे बंद हैं’दिल्ली बीजेपी के नेता तेजिंदर पाल सिंह बग्गा ने कमलनाथ के बीजेपी में शामिल होने की खबरों को निराधार बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, बहुत से मित्रों के फोन आ रहे है और वो कमलनाथ के बारे में पूछ रहे हैं। मैंने उनसे फोन पर भी कहा है और यहां भी कह रहा हूं कि सिखों के हत्यारे और हिन्द दी चादर गुरु तेग बहादुर जी के गुरुद्वारे रकाबगंज साहिब को जलाने वाले कमलनाथ के लिए बीजेपी के दरवाजे न खुले थे न खुले हैं। प्रधानमंत्री मोदी के होते हुए कभी ऐसा संभव नहीं हो पाएगा, ऐसा मैं आप सबको भरोसा दिलाता हूं।’ 1984 के सिख दंगों से कमलनाथ का क्या नाता? कमलनाथ पर बीजेपी खुद आरोप लगाती आई है कि जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार के अलावा कमलनाथ भी उन कांग्रेस नेताओं में शामिल रहे हैं जो 1984 के सिख दंगों के दौरान दंगाइयों का समर्थन और नेतृत्व कर रहे थे। कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को इन्हीं दंगों में शामिल होने के मामले में सजा हो चुकी है तो जगदीश टाइटलर अदालती कार्रवाई का सामना कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि कमलनाथ की बीजेपी में एंट्री टेढ़ी खीर साबित हो सकती है, क्योंकि बीजेपी के सिख नेता अब तक सिख समुदाय के लोगों से यही कहकर वोट मांगते आए हैं कि बीजेपी उन्हें न्याय दिलवाएगी।बहुत डरावना था सिख दंगों का मंजर1 नवंबर, 1984 को भारत के इतिहास की सबसे भयानक घटना घटी थी। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगा फैल गया था और हजारों सिखों को निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया था। 31 अक्टूबर को इंदिरा गांधी के दो सिख बॉडीगार्ड ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। उनकी हत्या के बदले का बहाना बनाकर निर्दोष सिखों को निशाना बना गया। उनको मौत के घाट उतारा गया, उनके दुकान और मकान को लूटा गया और महिलाओं का बलात्कर किया गया। सरकारी आकंड़ों के मुताबिक, दंगों में दिल्ली में लगभग 2,146 सिख मारे गए थे और देशभर में बाकी जगहों पर 586 सिख मारे गए थे। उधर दंगा पीड़ित कई परिवारों का दावा है कि दिल्ली में ही करीब 8 हजार और पूरे देश में 15 हजार से ज्यादा सिखों की हत्या की गई थी। कमलनाथ को जेल भेजने की मांग करती रही है बीजेपीबीते साल ही मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ पर बड़ा बयान दिया था। उन्होंने 1984 के सिख दंगों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सज्जन सिंह को जेल हो चुकी है। जगदीश टाइटलर के खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल है। अब बारी कमलनाथ की है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश ने पहली बार इस तरह का विभत्स व झकझोर देने वाला घटनाक्रम देखा।इसमें एक दो नहीं, बल्कि हजारों बेकसूर लोगों की हत्या की गई।बीजेपी नेता सिरसा ने हाई कोर्ट में दाखिल की है याचिका बीजेपी नेता मनजिंदर सिंह सिरसा ने कोर्ट से 1984 में पार्लियामेंट स्ट्रीट पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआईआर में कमल नाथ के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एसआईटी को निर्देश दिए जाने की मांग की थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों से संबंधित एक मामले में कथित भूमिका के लिए कमल नाथ के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका पर इसी साल 6 फरवरी को संज्ञान लिया और एसआईटी को अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने का और समय दे दिया। अब इस मामले को 23 अप्रैल के लिए सूचीबद्ध किया गया है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा को सूचित किया गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से गठित एसआईटी ने अभी तक बीजेपी के मनजिंदर सिंह सिरसा द्वारा दायर याचिका पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। यह मामला 1984 में दिल्ली शहर के गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब में दंगाइयों की भीड़ पर हमला करने से जुड़ा है। जब कमलनाथ को गुरुद्वारे में देख नाराज हुए कीर्तनकारसाल 2022 में मध्य प्रदेश के इंदौर में प्रकाश पर्व पर कीर्तन कार्यक्रम में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के शामिल होने को लेकर वहां विवाद हो गया था। कमलनाथ ने कीर्तन कार्यक्रम में पहुंचकर मत्था टेका और पदाधिकारियों ने उन्हें सरोपा सौंपा और सम्मान दिया। इसके बाद कार्यक्रम में पंजाब से आए कीर्तनकार मनप्रीत सिंह कानपुरी ने आयोजकों को आड़े हाथों लिया और कहा कि वह अब कभी इंदौर नहीं आएंगे। कमलनाथ पर साल 1984 में दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों में भूमिका को लेकर आरोप लगे थे। अपने बेटे के साथ दिल्ली में डटे कमलनाथबीते दिनों से मध्य प्रदेश की राजनीति में भूचाल मचा हुआ है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और उनके बेटे नकुलनाथ के कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं। दोनों नेता दिल्ली में मौजूद हैं। माना यह भी जाना रहा है कि उनके साथ कांग्रेस के कई नेता भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इसी बीच कमलनाथ ने दिल्ली स्थित अपने आवास पर श्रीराम का झंडा लगा दिया है। इससे संकेत मिल रहे हैं कि वह कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी के साथ जा सकते हैं। हालांकि कमलनाथ और नकुलनाथ ने इसकी पुष्टि नहीं की है। वहीं उनके घर की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। इसके अलावा कमलनाथ खेमे के नेता माने जाने वाले सज्जन सिंह वर्मा ने भी सोशल मीडिया एक्स पर भगवान राम के साथ पोस्टर साझा किया है। पोस्टर में लिखा है,’तेरे राम मेरे राम, तुझमें भी राम, मुझमें भी राम, जय श्रीराम।’