Anna Hazare Birthday: फौलादी विचारों वाले ‘दूसरे गांधी’ हैं अन्ना हजारे, जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स

अन्ना हजारे भारतीय सामाजिक कार्यकर्त्ता होने के साथ ही कई मुद्दों पर आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता के रूप में जाने जाते है। आज के दिन यानी की 15 जून को अन्ना हजारे अपना 86वां जन्मदिन मना रहे हैं। बता दें कि उन्होंने महात्मा गांधी जी की अहिंसात्मक नीति का अनुपालन करते कई बार जमीनी स्तर पर आंदोलन को व्यवस्थित करने और प्रोत्साहित करने के लिए भूख हड़ताल की है। वह गांधी जी की विचारधार पर चलने वाले एक सच्चे समाजसेवक के रूप में जाने जाते हैं। अन्ना हजारे किसी राजनीतिक पार्टी का हिस्सा बनने की जगह स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए जाने जाते हैं। आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर अन्ना हजारे के जीवन से जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में…जन्म और शिक्षामहाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में 15 जून 1938 को अन्ना हजारे का जन्म हुआ था। उनका बचपन काफी गरीबी में बीता। अन्ना हजारे के पिता मजदूर और उनके दादाजी फौज में थे। अपने छह भाई बहनों में अन्ना हजारे सबसे बड़े थे। अन्ना हजारे के भाई-बहन आर्थिक गरीबी के कारण शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके। हालांकि एक रिश्तेदार ने अन्ना हजारे की पढ़ाई का खर्चा उठाया। इस दौरान वह पढ़ाई के लिए मुंबई आ गए। लेकिन कुछ समय बाद उनके रिश्तेदार ने भी अपने हाथ खींच लिए। इस वजह से अन्ना हजारे सिर्फ सातवीं कक्षा तक पढ़ सके।करिय़रपढ़ाई छूटने के बाद वह मुंबई के दादर रेलवे स्टेशन पर फूलों की बिक्री का काम करने लगे। वहीं 60 के दशक के आसपास वह भी अपने दादा की तरह फौज में भर्ती हो गए। इस दौरान उन्होंने बतौर ड्राइवर फौज में अपनी सेवा दी। इंडो पाक युद्ध के दौरान गाड़ी चलाते हुए अन्ना पाकिस्तानी हमले से बाल-बाल बचे थे। ऐसे बनें जनसेवकफौज की नौकरी के दौरान अन्ना हजारे ने नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से विवेकानंद की किताब कॉल टू द यूथ फॉर नेशन पढ़ने के लिए खरीदी। इस किताब को पढ़ने के बाद उन्की पूरी जिंदगी बदल गई। अन्ना हजारे ने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित करने की ठान ली। इस दौरान उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे को भी पढ़ा। इन महापुरुषों के जीवन का अन्ना हजारे पर काफी गहरा असर हुआ। इसके बाद साल 1970 में उन्होंने आजावीन विवाह न करने का फैसला ले लिया।वहीं साल 1975 में अन्ना हजारे ने फौज की नौकरी से वालंटरी रिटायरमेंट ले लिया। इसके बाद वह अपने गांव चले गए। क्योंकि अन्ना का मानना था कि देश की असली ताकत गांवों में होती है। इसलिए उन्होंने गांवों के विकास के लिए मोर्चा शुरू कर दिया। बता दें कि अन्ना ने अपनी पुश्तैनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दे दी है। इसके बाद साल 1975 में उन्होंने  सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया। उन्होंने अपने कार्यों के जरिए वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा का इस्तेमाल कर गांव को स्वावलंबी बनाने का काम किया।विश्व के अन्य समुदाय के गांवों के लिए यह गांव आदर्श बन गया। वहीं साल 1998 में अन्ना हजारे चर्चाओं में आ गए। जब उन्होंने भाजपा और शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की मांग करने लगे थे। इसके बाद साल 2005 में उन्होंने कांग्रेस सरकार के चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ आवाज उठाई। बता दें कि अन्ना हजारे की आंदोलन करने की कार्यशैली बिलकुल महात्मा गांधी की तरह है। महात्मा गांधी की तरह की अन्ना हजारे भी शांत रहकर भ्रष्टाचारियों पर जोरदार प्रहार करते हैं।लोकपाल विधेयक आंदोलन5 अप्रैल 2011 को समाजसेवी अन्ना हजारे एवं उनके साथियों ने जन लोकपाल विधेयक (नागरिक लोकपाल विधेयक) के निर्माण के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन आंदोलन के साथ शुरू किया। इस दौरान उनके समर्थन में वर्तमान दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाद, किरण बेदी, प्रशांत भूषण आदि शामिल हुए थे। देखते ही देखते यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया। वहीं इस आंदोलन व अन्ना हजारे के समर्थन में बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरने लगे।इस दौरान अन्ना हजारे ने भारत सरकार से एक मजबूत भ्रष्टाचार विरोधी लोकपाल विधेयक पास करने की मांग की थी। उन्होंने अपनी मांगों के अनुसार, भारत सरकार को लोकपास बिल का एक मसौदा भी दिया गया था। हालांकि उस दौरान मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार इस आंदोलन के प्रति नकारात्मक रवैया दिखाते हुए उपेक्षा की थी।सम्मानसमाजसेवा और समाज कल्याण के कार्य को देखते हुए भारत सरकार ने साल 1990 में अन्ना हजारे को पद्मश्री से सम्मानित किया था। इसके बाद साल 1992 में उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा गया था। बता दें कि कभी अपनी जिंदगी से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।