नाराज वोटर करेंगे कुढ़नी का फैसला! ये नया ‘खेला’ जान उड़ जाएगी NDA और महागठबंधन की नींद

पटना: जैसे जैसे कुढ़नी विधान सभा उप चुनाव मतदान के करीब आता जा रहा है जीत के समीकरण नए नए अंदाज में सामने आने लगे हैं। कुढ़नी विधान सभ उप चुनाव में इन दिनों नाराज वोटरों की संख्या बढ़ गई है। यह नाराजगी चुनाव में खड़े सभी प्रमुख पार्टियों को झेलने पड़ रही है। राजनीतिक गलियारों में एक आवाज यह भी कि सीट जदयू के खाते में जाने से राजद खेमा में उदासी है। वजह यह कि मोकामा में अनंत सिंह की पत्नी को टिकट मिल सकता है तो अनिल सहनी की पत्नी को क्यों नहीं।

RJD के वोटर नीतीश से नाराज
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल का तो कहना है कि ‘राजद के वोटर नीतीश कुमार से काफी नाराज हैं। पहला कारण तो यह कि अनिल सहनी की पत्नी को टिकट नहीं दिया गया। दूसरा यह कि इस नाम पर टिकट जदयू के खाते में चला गया जबकि ये राजद की जीती हुई सीट थी। ऐसे में राजद के किसी अन्य नेता को मौका देना चाहिए था। पार्टी के भीतर उस क्षेत्र में शेखर सहनी एक जाने माने नेता है। वहां राजद के पार्टी कार्यकर्ताओं को विश्वास था कि अनिल नहीं तो राजद के भीतर ही किसी को खड़ा किया जाएगा। लेकिन यह सीट जदयू की तरफ चली गई। इस वजह से नाराज मत भाजपा की तरफ ठीक वैसे जायेंगे जैसे मोकामा में कुर्मी ,कुशवाहा और धानुक का मत मिला।’

मुस्लिम मतों का खेलाकुढ़नी विधान सभा में तकरीबन 25 हजार मत मुस्लिम मतदाता के हैं। यह पहली बार हुआ है कि मुस्लिम मत थोड़ा खुला महसूस कर रहे हैं। यह राजद के उम्मीदवार के नहीं खड़े होने के कारण तो हैं ही दूसरे ए आई एम आई एम ने जो उम्मीदवार दे दिया। गोपालगंज विधान सभा चुनाव में तो राजद के उम्मीदवार थे तब ए आई एम आई एम को 12हजार मत मिले थे। कुढ़नी में राजद के सीधे उम्मीदवार नहीं रहने से महागंठबन्धन का यह आधार वोट फिलहाल ए आई एम आई एम से जुड़ा दिख रहा है।

भूमिहार और वैश्य के बीच अभी भी खाईबोचहा विधान सभा चुनाव के दौरान भूमिहार और वैश्य के बीच जो नाराजगी थी, उस नाराजगी के खत्म होने का लिटमस टेस्ट कुढ़नी में हो जाएगा। अगर भूमिहार और वैश्य मत एक जगह भाजपा में पड़े तो ठीक, वरना ये मतभेद ही बीजेपी को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी साबित हो सकता है। ऊपर से भूमिहार जाति के नेता नीलाभ को वीआईपी से टिकट मिलना ही बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल बन गई है। सीधी बात है कि अब कुढ़नी में नाराज वोटरों को मनाना ही इस सियासी खेल की सबसे बड़ी जरूरत है। जो इस खेल में सही दांव खेलेगा वही जीत को अपने पक्ष में कर पाएगा।