नई दिल्ली: गुजरात के जामनगर के साथ भावनात्मक लगाव की वजह से अंबानी परिवार ने प्री-वेडिंग समारोह के लिए इसी शहर को चुना। इसके बाद जामनगर अचानक सुर्खियों में आ गया। इसी तरह, अपने शहरों के लिए प्यार अब दूसरे बड़े व्यापार घराने भी जगा रहे हैं। वे भी अपने शहर की संस्कृति और खाने को लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। लखनऊ में, संतकड़ा उत्सव 2010 में शुरू हुआ था जो अब सालाना कार्यक्रम बन चुका है। इस फेस्टिवल में हजारों लोग लखनऊ आते हैं। यह फेस्टिवल उद्योगपति आनंद महिंद्रा की ओर से उनकी मां इंदिरा की याद में शुरू किया गया था, जो लखनऊ की रहने वाली थीं। फरवरी में हुए इस उत्सव में लोगों को लखनवी कलाओं जैसे बैंतबाजी (शेरों में तुरंत जवाब देने की कला), हस्तशिल्प, साहित्य और खाने की चीजों की झलक देखने को मिली थी। रविवार के लोकप्रिय लंच में अलग-अलग समुदायों के पारंपरिक व्यंजन परोसे गए, जो आम तौर पर बाजार में नहीं मिलते।संतकड़ा की मुख्य टीम के सदस्य शिक्षाविद नूर खान बताते हैं कि इस साल, हमारे यहां 30 हजार लोगों का आना हुआ। शामिल होने वाले सभी लोग बाहर से आए थे, जो लखनऊ को देखने आए थे। यह फेस्टिवल माधवी कुकरेजा ने शुरू किया था, जो 2000 के दशक की शुरुआत में अपने माता-पिता के शहर लखनऊ वापस आई थीं। नूर खान आगे कहते हैं कि यह बहुत ही साधारण शुरुआत थी और यहां तक कि हम स्थानीय लोग भी शुरुआत में दुकानों पर खड़े होकर अपना खाना परोसने से हिचकिचाते थे। लेकिन अब फेस्टिवल काफी बदल चुका है और इसने भुला दी गई कलाओं, साहित्य और वाजिद अली शाह की सफेद बारादरी जैसी स्थापत्य कला की खूबसूरती को लोगों के सामने ला दिया है, जहां इस फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। कोलकाता के अंदर एक छोटा भारत दिखाने का विचार कोलकाता में, हर्षवर्धन और मधु नेओटिया की “द इंडिया स्टोरी” लगातार पूर्वी भारत में लोगों को आकर्षित कर रही है। जहां ये फेस्टिवल पूरे देश के कलाकारों को दिखाता है, वहीं इस साल इसमें “द कलकत्ता स्टोरी” नाम से एक प्रदर्शनी के जरिए कोलकाता पर ही खास ध्यान दिया गया था। मधु नेओटिया, जो नेओटिया आर्ट ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी हैं। वह बताती हैं कि कोलकाता के अंदर भारत का एक छोटा रूप दिखाने का यही विचार है। हमारा इतिहास मनमोहक है, हमारा भौगोलिक महत्व महत्वपूर्ण है, हमारी राजनीति बौद्धिक है और हमारा समाजशास्त्र खास है। ऐसे शहर की अपनी कहानी होनी चाहिए। इस फेस्टिवल में अब कला, संगीत, इतिहास, खाने और फिल्मों को शामिल कर लिया गया है। प्रदर्शनियों में से एक में बंगाली फिल्मों की अभिनेत्रियों पर आधारित वीडियो इंस्टॉलेशन भी शामिल था। गोवा में सरेंडिपिटी फेस्टिवलगोवा के मशहूर समुद्र तटों की तरफ जाने वाले पर्यटक अक्सर पणजी शहर को नजरअंदाज कर देते थे, लेकिन अब हीरो एंटरप्राइज के चेयरमैन सुनील कांत मुंजाल के दिमाग की उपज, सरेंडिपिटी फेस्टिवल की बदौलत ये शहर राष्ट्रीय कला कैलेंडर में शामिल हो गया है। यह फेस्टिवल न सिर्फ उभरते कलाकारों को मंच देता है बल्कि इसने शहर के सार्वजनिक स्थानों के जीर्णोद्धार में भी अहम भूमिका निभाई है। पुराने सरकारी भवन अब आर्ट गैलरी बन गए हैं और पार्किंग स्थल इमर्सिव थिएटर के लिए मंच बन गए हैं।चेन्नई में मां की याद में डिनर चेन्नई में, भारतीय घरेलू खाने को मनाने और बढ़ावा देने की इच्छा से प्रेरित होकर, रियल एस्टेट कारोबारी हनु रेड्डी ने हाल ही में शहर के बाहरी इलाके में अपने परिवार के आम के बाग में 10-कोर्स रात्रिभोज का आयोजन किया। भारत के दस शीर्ष रसोइयों ने अपनी मां के भोजन या बचपन की यादों से प्रेरित होकर एक-एक कोर्स पकाया। 156 फीट लंबी मेज पर 104 मेहमान बैठे, जिसे इकट्ठा की गई लकड़ी से मौके पर ही बनाया गया था। रेड्डी की मां के खाना पकाने की याद में शेफ रेगी मैथ्यू ने इस कार्यक्रम को तैयार किया। रेड्डी कहते हैं कि मैं लोगों को एकजुट कर समुदाय की भावना और साझा करने को बढ़ावा देना चाहता था, साथ ही क्षेत्रीय संस्कृति और पाक कला की उत्कृष्टता को प्रदर्शित करने के लिए एक मंच बनाना चाहता था। ‘हनुज़ टेबल’ के नाम से जाने जाने वाले इस आयोजन का लक्ष्य, चेन्नई को पाक अनुभवों की तलाश करने वाले यात्रियों के लिए शीर्ष विकल्प के रूप में स्थापित करना है।कॉर्बेट के इलाके में कचनार के फूल और सेमल के फूल आकर्षक लाल रंग में खिलते हैं, उसी दौरान लीज़र होटल्स ग्रुप के मुकुंद और विभास प्रसाद ने कोसी नदी के तट पर एक संगीत उत्सव का आयोजन किया। दो रात चलने वाले इस सांस्कृतिक उत्सव में रात को नदी के किनारे रागों की प्रस्तुति के साथ-साथ पहाड़ी भोजन परोसा गया, जिसमें स्थानीय चीजों का इस्तेमाल किया गया था, जैसे सिल पर पीसे गए स्वादिष्ट हिमालयी खाने का नमक, वहीं पर लगे आम के पेड़ों से बना अचार और हिमालयी मसाले। इस उत्सव का विचार कॉर्बेट को सिर्फ बाघों और शादियों से आगे पहचान दिलाना था। यह भारत की एक नई खोज है, जो जुनून और निवेश दोनों से चलती है।