लखनऊ: अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव (Loksabha Chunav) के लिए सभी दल दमखम से तैयारी में जुट गए हैं। सोनेलाल पटेल की जयंती पर लखनऊ पहुंचे देश के गृहमंत्री अमित शाह () ने चुनावी गठबंधन को लेकर इशारा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि बीजेपी, अपना दल और निषाद पार्टी के साथ संतुष्ट है। सभी दल साथ में चुनाव लड़ेंगे। बीते काफी समय से सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर (OP Rajbhar) की बीजेपी के साथ गठबंधन की सुगबुगाहट चल रही है। लेकिन शाह के इस ऐलान के बाद सबसे बड़ा सवाल राजभर को लेकर उठने लगा है। अमित शाह के यूपी में चुनावी गठबंधन को लेकर बयान के मायने निकाले जाने का काम शुरू हो गया है। क्या राजभर का पत्ता गठबंधन से कट गया है। लखनऊ में सोनेलाल पटेल जयंती पर एनडीए के सहयोगी पहली बार अपना दल के मंच पर नजर आए। इनमें रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय राज्य मंत्री रामदास अठावले, राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ.संजय निषाद मौजूद थे। समारोह का आयोजन अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री ने किया था। के मुखिया ओमप्रकाश राजभर पूर्वांचल के कई जिलों में प्रभावी हैं। पिछले साल राजभर ने अखिलेश की अगुवाई में सपा के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। उनके 6 विधायकों को जीत भी मिली। लेकिन चुनाव के बाद से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गई। अभी बीते कुछ समय से वह बीजेपी के साथ गठबंधन को लेकर खबरों में हैं। पिछले महीने उन्होंने शर्त रखी कि बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में उन्हें 8 सीटें चाहिए। राजभर का दावा है कि यूपी की 32 लोकसभा सीटों पर राजभर समाज के वोटर्स की संख्या 50 हजार से लेकर 2 लाख तक है। रविवार को उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए कह दिया कि यूपी में कुर्मी समाज पूरी तरह से बीजेपी के साथ है। पिछले महीने राजभर की सीएम योगी के साथ मुलाकात भी सुर्खियों में रही। वहीं राजभर के बेटे अरुण को शादी की शुभकामनाएं देने के लिए प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य सहित बीजेपी के मंत्री, विधायक और सांसद भी पहुंचे थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और एनडीए के सहयोगियों की मौजूदगी के बीत अमित शाह ने कहा कि हम इन्हीं सहयोगी दलों के साथ मिलकर यूपी की सभी 80 सीटें जीतेंगे। एनडीए को 300 से अधिक सीटों के साथ एक बार फिर से मोदी सरकार बनेगी। एनडीए ने अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल के मंच से एकता दिखाने की कोशिश की। दरअसल यूपी की राजनीति में भावनात्मक मुद्दों के साथ जाति भी साथ चलती है। भाजपा ने भी पिछड़ों और खासतौर पर कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए अनुप्रिया के मंच का इस्तेमाल किया। भाजपा का यह भी मानना है कि पिछले विधानसभा चुनाव में कुर्मियों का पूरा साथ उसे नहीं मिला था। इसी वजह से भाजपा के बड़े चेहरे भी मंच पर नजर आए। एक संदेश यह भी देने की कोशिश की गई कि भाजपा अपने सहयोगी दलों का पूरा सम्मान करती है। दरअसल यूपी में अपना दल और निषाद पार्टी दोनों को साथ लाने में भी शाह की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी, इस वजह से यह भी दिखाने की कोशिश हुई कि भविष्य में भी यह दल भाजपा के सहयोगी बने रहेंगे। लेकिन पूर्वांचल में सक्रिय राजनीतिक भूमिका रखने वाले ओमप्रकाश राजभर को लेकर सवाल पैदा हो गया है।