फीफा में मोरक्को का कमाल… इसे ‘इस्लाम की जीत’ कहना कितना सही? एक ‘खिलाड़ी’ ने दिया धार्मिक एंगल

दोहा : कतर में चल रहे फीफा वर्ल्ड कप 2022 से अभी तक की सबसे बड़ी खबर अफ्रीकी देश मोरक्को की टीम का सेमीफाइनल में पहुंचना है। क्रिस्टियानो रोनाल्डो की टीम पुर्तगाल को हराने वाला मोरक्को फीफा के इतिहास में सेमीफाइनल में पहुंचने वाला पहला अफ्रीकी देश है। इंटरनेट पर एक तरफ जहां मोरक्को की जीत के चर्चे हैं तो वहीं दूसरी तरफ इसे ‘इस्लाम की जीत’ बताया जा रहा है। मोरक्को की जीत से अफ्रीकी देश तो खुश हैं ही, अरब जगत में भी जश्न का माहौल है। मोरक्को जैसे छोटे देश के लिए यह उपलब्धि बहुत बड़ी है जिसे खिलाड़ियों ने अपनी मेहनत से हासिल किया है। लेकिन अब कुछ लोग इसे ‘इस्लाम की जीत’ बता रहे हैं। खेल एक ऐसी चीज है जो देशों, धर्मों और समुदायों के बीच की सीमा को मिटा देता है। गौर करने वाली बात यह है कि खेल को धर्म से जोड़ने की शुरुआत खुद एक खिलाड़ी रह चुके शख्स ने की, बात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री और पाकिस्तान क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान इमरान खान की हो रही है।

इमरान खान ने लिखा, ‘पुर्तगाल पर जीत हासिल कर फुटबॉल वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंचने के लिए मोरक्को को मुबारकबाद। यह पहली बार है जब एक अरब, अफ्रीकी और मुस्लिम टीम फीफा वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पहुंची है। सेमीफाइल और आगे की सफलता के लिए उन्हें शुभकामनाएं।’ मोरक्को एक उत्तरी अफ्रीकी देश है जिसकी 97 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिम है। इसे ‘एटलस लायन’ भी कहा जाता है। शेरों की यह खास प्रजाति सिर्फ उत्तरी अफ्रीका में पाई जाती है।

खिलाड़ियों ने मैदान पर किया सजदा करीब साढ़े तीन करोड़ की आबादी वाले मोरक्को को अरब और अफ्रीकी देश इसलिए कहते हैं क्योंकि यहां अरब सुन्नी मुस्लिमों की बड़ी आबादी रहती है। लोगों के पास मोरक्को की जीत को ‘इस्लाम’ से जोड़ने की एक और वजह है। अक्सर खिलाड़ियों को मैदान पर जीतने के बाद सजदा करते हुए देखा जा चुका है। ग्रुप मैच में बेल्जियम को हराने के बाद भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था।

‘इस्लाम की जीत’ पर बहस
हालांकि कुछ लोग मोरक्को की जीत को धर्म से जोड़ने के खिलाफ भी हैं। एक तरफ मिशिगन की वेन स्टेट यूनिवर्सिटी में कानून पढ़ाने वाले प्रोफेसर खालिद बिदुन ने जब कहा कि मोरक्को के खिलाड़ियों ने हर गोल और जीत के बाद इबादत में सिर झुकाया। यह दुनियाभर के दो बिलियन मुसलमानों की जीत है। वहीं मिडिल ईस्ट के पत्रकार शाहीन ने इसका विरोध करते हुए कहा कि आज एक अरब और अफ्रीकी देश मोरक्को की जीत हुई है न कि इस्लाम धर्म की।

पाकिस्तान में सबसे ज्यादा चर्चा
मोरक्को की जीत का सबसे ज्यादा चर्चा पाकिस्तान में है। एक यूजर ने लिखा कि मुस्लिम उमाह को गौरवान्वित करने के लिए मोरक्को को बधाई। अन्य देशों के पूर्व फुटबॉलर भी इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जर्मनी के पूर्व फुटबॉलर मेसुत ओजिल ने ट्वीट किया, ‘यह अफ्रीकी महाद्वीप और मुस्लिम जगत के लिए बड़ी उपलब्धि है।’ एक यूजर ने लिखा कि मोरक्को की जीत से ‘फिलिस्तीन को गर्व है’। तो वहीं कनाडा के एक प्रोफेसर गाद साद ने पूछा, ‘मैं मोरक्को की जीत का जश्न मना रहा हूं। मैंने एक बार भी इस्लाम का नाम नहीं लिया। मोरक्को की जीत को फिलिस्तीन से क्यों जोड़ा रहा है।’

फिलिस्तीन में सड़कों पर जश्न
अल जजीरा की रिपोर्ट के अनुसार, फिलिस्तीन में भी मोरक्को की जीत का जश्न मनाया जा रहा है। यह जश्न सिर्फ घरों में बैठकर तालियां बजाने तक सीमित नहीं है। लोग सड़कों पर निकल रहे हैं और ड्रम बजाकर, नारे लगाकर मोरक्को के लिए अपना समर्थन जाहिर कर रहे हैं। मैच जीतने के बाद मोरक्को के विंगर सोफ़ियान बोफ़ाल की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब पसंद की जा रही हैं। इनमें वह अपनी मां के साथ जीत का जश्न मनाते हुए नजर आ रहे हैं।