सुप्रीम कोर्ट के सभी 32 जज पैदा भी नहीं हुए थे, तभी का मुकदमा… अब अदालत ने निपटाया

नवी मुंबई: महाराष्ट्र की एक अदालत ने देश के सबसे दो पुराने मुकदमों का निपटारा कर दिया है। ये दोनों मुकदमे उस दौर के हैं। जब कि सुप्रीम कोर्ट के 32 जजों में से कोई पैदा तक नहीं हुआ था। ये दोनों केस करीब 70 साल पहले रायगढ़ जिले के उरण पुलिस स्टेशन में दर्ज किए गए थे। जिसकी सुनवाई रायगढ़ जिले के उरण स्थित न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी (जेएमएफसी) अदालत ने की और इनका निपटारा कर दिया। बीती 9 फरवरी को प्रधान न्यायाधीश और मजिस्ट्रेट नीलेश वली के समक्ष अदालत की सुनवाई हुई थी।हमारे सहयोगी टीओआई ने 9 जनवरी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष लंबित मामलों की दशकों पुरानी रिपोर्ट दी थी। ये गणतंत्र के शुरुआती सालों में पुलिस के जरिए दर्ज किए गए मामले थे। इनमें से एक साल 1953 का, जबकि दूसरा मुकदमा साल 1955 में दर्ज किया गया था। उस वक्त देश में कोई भी वरिष्ठतम न्यायाधीश नहीं था। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के 32 जजों में से किसी का जन्म तक नहीं हुआ था। जानकारी के मुताबिक ये दोनों मुकदमे दो संदिग्धों के जरिए चोरी और निषेध कानून के उल्लंघन से संबंधित थे।उरण न्यायाधीश ने इस साल तीन जनवरी को दोनों आरोपियों को नौ फरवरी को अदालत में पेश करने के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया था। उप पुलिस आयुक्त पंकज दहाणे ने कहा, ‘दोनों कहां हैं, इसका पता नहीं है। वे दोनों आरोपी उस वक्त 30 के दशक में थे। जब एफआईआर दर्ज की गई थी। यानी कि वे आज 105 साल के होंगे।’ पुलिस ने जब एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के साथ यह कहा कि वे आरोपी ही लापता हैं। तो इस पर मजिस्ट्रेट ने कार्यवाही रोक दी। इसका मतलब है कि मामला अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है क्योंकि अभियुक्त नहीं मिले हैं। कॉन्स्टेबल अस्ताक शरीफ ने कहा कि अगर पुलिस उनका पता लगा लेती है तो मामला फिर से रीओपेन किया जा सकता है।