चंडीगढ़: ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने विरोध-प्रदर्शन स्थलों सहित ऐसे स्थानों पर गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने के मुद्दे पर चर्चा के लिए एक समिति गठित की, जहां पवित्र पुस्तक की बेअदबी की आशंका है। सिख उपदेशक और खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों के एक वाहन में गुरु ग्रंथ साहिब के ‘सरूप’ (प्रति) को अजनाला थाने में ले जाने के दो दिन बाद सिखों के प्रमुख संगठन के जत्थेदार का यह फैसला आया है। एक बयान के अनुसार, जत्थेदार ने विरोध स्थलों, प्रदर्शनों और ऐसी जगहों पर गुरु ग्रंथ साहिब को ले जाने के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक उप-समिति का गठन किया, जहां सिखों के पवित्र ग्रंथ की बेअदबी होने की आशंका है। यह समिति 15 दिन के भीतर अकाल तख्त को एक रिपोर्ट सौंपेगी।सीएम भगवंत मान ने साधा निशानाइस मामले में सीएम भगवंत मान ने भी प्रतिक्रिया दी है। अजनाला घटना को लेकर अमृतपाल सिंह पर निशाना साधते हुए सीएम भगवंत मान ने कहा, ‘जो लोग गुरु ग्रंथ साहिब को ढाल के रूप में पुलिस थानों में ले जाते हैं, उन्हें किसी भी तरह से पंजाब और पंजाबियत का ‘वारिस’ नहीं कहा जा सकता है।’ खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के समर्थकों ने लवप्रीत सिंह की रिहाई को लेकर गुरुवार को अजनाला पुलिस थाने पर धावा बोल दिया था। उनके समर्थकों ने बैरिकेड तोड़ दिए थे और यहां पुलिस थाना परिसर में गुरुवार को हंगामा किया था। इस दौरान कुछ समर्थकों के हाथों में तलवारें और बंदूकें थीं। अजनाला की एक अदालत ने लवप्रीत सिंह को रिहा करने का आदेश दिया था और इसके कुछ घंटे बाद उसे अमृतसर केंद्रीय जेल से रिहा कर दिया गया था।गुरु ग्रंथ साहिब को बनाया था ढालअजनाला में पुलिस थाने पर हमले के एक दिन बाद पंजाब के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) गौरव यादव ने शुक्रवार को कहा था कि प्रदर्शनकारियों ने पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब को एक ढाल के रूप में इस्तेमाल किया था और पुलिसकर्मियों पर ‘कायरतापूर्ण’ तरीके से हमला किया था, जिसमें छह लोग घायल हो गए थे।