नई दिल्ली : भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए ”तत्परता” से काम करने और अपने प्रयासों को बढ़ाने पर बृहस्पतिवार को सहमति व्यक्त की। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वार्ता की। इस दौरान वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर लंबे समय से जारी गतिरोध के शीघ्र समाधान पर ध्यान केंद्रित किया गया।सेंट पीटर्सबर्ग में मिले चीनी विदेश मंत्रीविदेश मंत्रालय के अनुसार, डोभाल ने वांग को बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और एलएसी का सम्मान द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बनाने के लिए जरूरी है। डोभाल और वांग के बीच हुई बैठक रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग में ब्रिक्स देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के सम्मेलन के इतर हुई। ब्रिक्स में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में दोनों पक्षों को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों का शीघ्र समाधान खोजने की दिशा में हाल के प्रयासों की समीक्षा करने का मौका मिला।’ सैनिकों को पीछे हटाने पर सहमति इसने एक बयान में कहा कि दोनों पक्षों ने तत्परता से काम करने और टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के लिए अपने प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों को दोनों सरकारों द्वारा अतीत में किए गए प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन करना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध न केवल दोनों देशों के लिए बल्कि क्षेत्र और विश्व के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। क्षेत्रीय स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदानइसने कहा कि दोनों पक्षों ने वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिति पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। डोभाल और वांग के बीच यह बैठक भारत और चीन के बीच कूटनीतिक वार्ता के दो सप्ताह बाद हुई है। उस दौरान दोनों पक्ष लंबित मुद्दों का समाधान खोजने के लिए कूटनीतिक और सैन्य माध्यमों से संपर्क बढ़ाने पर सहमत हुए थे। भारत और चीन की सेनाओं के बीच मई 2020 से गतिरोध जारी है और सीमा विवाद का पूर्ण समाधान अभी तक नहीं हो पाया है, हालांकि दोनों पक्ष टकराव वाले कई बिंदुओं से पीछे हट गए हैं। गलवान के बाद 21 दौर की हो चुकी है वार्ता जून 2020 में गलवान घाटी में हुई भीषण झड़प के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव पैदा हो गया था। भारत लगातार कहता रहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति नहीं होगी, चीन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध का समाधान निकालने के लिए दोनों पक्षों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी है।