अफजल गुरु, रुबिया सईद.. जम्मू कश्मीर चुनाव में ‘गड़े मुर्दे’ क्यों उखाड़ रही है नेशनल कॉन्फ्रेंस, समझिए इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। की तरफ से चुनाव अभियान में अफजल गुरु से लेकर रुबिया सईद तक का जिक्र हो रहा है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कांफ्रेंस के ने हाल ही में दिए गए बयान में कहा है कि 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को फांसी देने से कोई फायदा नहीं हुआ। इससे पहले अफजल गुरु की फांसी के बारे में अब्दुल्ला ने स्पष्ट किया था कि इस प्रक्रिया में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा था कि अगर राज्य की मंजूरी की जरूरत होती तो यह मंजूरी नहीं दी जाती। चुनाव के बीच रुबिया सईद का जिक्र क्यों?नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने चुनाव के बीच ही आईसी 814 वेब सीरीज विवाद के संदर्भ में रूबिया सईद का जिक्र कर दिया। अब्दुल्ला के अनुसार, दिसंबर 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद का अपहरण, दिसंबर 1999 के इंडियन एयरलाइंस अपहरण प्रकरण (फ्लाइट आईसी 814) के दौरान एक ‘बेंचमार्क’ बन गया। रूबिया की रिहाई के बदले सरकार ने उन्हें मुक्त कराने के लिए पांच आतंकवादियों को रिहा किया था। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उमर के बयान से साफ है कि वे घाटी के पुराने दिनों की याद दिलाकर चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं। खास बात है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, जो उमर के पिता हैं, दोनों घटनाओं के दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री थे। बीजेपी का तीखा पलटवारउमर के इस बयान पर बीजेपी की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई। उमर के बयान को लेकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी नेता कविंद्र गुप्ता ने कहा कि उमर अब्दुल्ला क्या हल करना चाहते हैं? अगर भारत के खिलाफ साजिश रचने वाले राष्ट्रविरोधी तत्वों को मौत की सजा दी जाती है, तो वे इस पर आपत्ति क्यों करते हैं? वे आतंकवादियों से समर्थन लेकर स्थिति पैदा करना चाहते हैं। वे आतंकवादियों से समर्थन ले रहे हैं। इसलिए वे ऐसी भाषा बोल रहे हैं। 370 हटने के बाद किस राह पर NCपिछले तीन दशकों से कश्मीर घाटी में चुनाव हिंसा, आतंकी धमकियों और अलगाववादियों के बहिष्कार के आह्वान से ग्रस्त रहे हैं। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा है। अब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण बदलाव दिख रहे हैं। इस वजह से 2024 के जम्मू और कश्मीर चुनाव अतीत से अलग हैं। इस बदलाव ने राजनीतिक दलों को नई रणनीति अपनाने के लिए प्रेरित किया है। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस समेत अन्य कश्मीर के क्षेत्रीय दल अधिक से अधिक मतदाताओं को अपने पक्ष में मोड़ने के लिए बेताब रणनीति बना रही है। ऐसे में एक बार फिर से नेशनल कॉन्फ्रेंस की तरफ से आतंकियों के पक्ष में सहानुभूति की रणनीति देखने को मिल रही है।AFSPA हटाने का कर रहे वादाउमर अब्दुल्ला इस चुनाव में जम्मू-कश्मीर से AFSPA हटाने और कश्मीरी युवाओं के साथ हो रहे कथित अन्यायपूर्ण उत्पीड़न के मामले को उठा रहे हैं। इसके साथ ही वह अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने का भी जिक्र कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो वह जम्मू-कश्मीर से AFSPA को खत्म करेगी। यह पहली बार नहीं है कि उमर ने अफ्स्पा का जिक्र किया है। 2012 में तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के मुख्यमंत्री रहते हुए विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम (AFSPA) को हटाने की वकालत की थी। उन्होंने यहां तक घोषणा की थी कि उनके कार्यकाल के दौरान AFSPA को हटा दिया जाएगा, लेकिन इस प्रस्ताव का सेना की ओर से कड़ा विरोध हुआ था। उमर टोपी उतार मांग रहे वोटजम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज खत्म होने के बाद हो रहे पहले चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (जेकेपीसी) के नेता सज्जाद लोन जैसे दिग्गज अब कई निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं। उमर गांदरबल और बडगाम विधानसभा सीट पर मुकाबला कर रहे हैं। गांदरबल सीट के लिए कुल 24 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया है। उनके खिलाफ मुख्य उम्मीदवारों में मौलवी सरजन बरकती, पीडीपी के बशीर अहमद मीर और जेएंडके यूनाइटेड मूवमेंट (JKUM) से राह जुदा कर निर्दलीय ताल ठोक रहे इश्फाक जब्बार शामिल हैं। गांदरबल में अब्दुल्ला लोगों से भावनात्मक अपील कर रहे हैं। उन्होंने यहां पहली बार अपनी टोपी उतार दी और अपनी इज्जत बचाने के लिए वोटों देने को कहा। माना जा रहा है कि उमर अब्दुल्ला जीतने के फार्मूले को समझने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि, कई लोगों का कहना है कि गांदरबल में अब्दुल्ला परिवार की राजनीतिक पैठ मजबूत है। कब होगी वोटिंग?जम्मू-कश्मीर में मतदान तीन चरणों में होंगे, पहले चरण के लिए मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर और अंतिम चरण के लिए 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव परिणाम 8 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे।