सत्यपाल मलिक के बाद अब जगदीप धनखड़… बीजेपी को मुश्किल में डाल रहे ये जाट नेता?

नई दिल्ली : देश में किसानों का आंदोलन एक बार फिर से चर्चा में है। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति ने किसानों के मुद्दे को लेकर सीधे-सीधे सरकार पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। जाट नेता धनखड़ किसानों के मुद्दे को जिस तरह से कृषि मंत्री के सामने बेलाग लपेट के उठाया है इससे सत्यपाल मलिक याद आ गए हैं। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल रहे इस जाट नेता ने तो किसानों के मुद्दे पर सीधे पीएम मोदी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। किसानों के मुद्दे पर जिस तरह से जाट नेता सवाल उठा रहे हैं, इससे बीजेपी के साथ केंद्र सरकार पर नैतिक दबाव पड़ना तय है।पीएम मोदी के बताया था अहंकारीसत्यपाल मलिक ने कृषि कानूनों के संदर्भ में पीएम मोदी को अहंकारी तक बता डाला था। मलिक का कहना था कि वह किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी से चर्चा करने के लिए गए थे लेकिन उनकी पीएम मोदी से लड़ाई हो गई। मलिक ने जयपुर की एक सभा में कहा था कि मैं जब किसानों के मामले में प्रधानमंत्री जी से मिलाने गया, तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई उनसे। वो बहुत घमंड में थे। मलिक के अनुसार जब मैंने उनसे कहा, हमारे 500 लोग मर गए… तो उसने कहा, मेरे लिए मारे गए हैं? (मैंने) कहा आपके लिए ही तो मारे थे, जो आप राजा बने हुए हो… मेरा झगड़ा हो गया। धनखड़ ने कृषि मंत्री से किए तीखे सवालउपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सवाल किया है कि आखिरकार किसानों से वार्ता क्यों नहीं हो रही है। धनखड़ ने कहा कि कृषि मंत्री जी, हर पल आपके लिए महत्वपूर्ण है। मैं आपसे अनुरोध करता हूं और भारत के संविधान के तहत दूसरे सबसे बड़े पद पर विराजमान व्यक्ति के रूप में मैं आपसे आग्रह करता हूं कि कृपया मुझे बताइए। उन्होंने सवाल किया कि क्या किसानों से कोई वादा किया गया था। और वह वादा क्यों नहीं निभाया गया। हम वादा पूरा करने के लिए क्या कर रहे हैं। पिछले साल भी आंदोलन था, इस साल भी आंदोलन है, और समय जा रहा है, लेकिन हम कुछ नहीं कर रहे हैं। धनखड़ ने कहा कि कृषि मंत्री जी, मुझे तकलीफ हो रही है। मेरी चिंता यह है कि अब तक यह पहल क्यों नहीं हुई। आप कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री हैं। मलिक ने पीएम को बताया था किसान विरोधीजम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल और जाट नेता सत्यपाल मलिक किसानों के मुद्दे पर मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। मलिक लगातार किसानों की सभाओं में केंद्र की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। अक्टूबर 2022 में सत्यपाल मलिक ने कहा था कि किसानों को फिर एक आंदोलन के लिए तैयार रहना चाहिए। सत्यपाल मलिक किसानों केंद्र सरकार पर किसानों को खिलाफ षड्यंत्र रचने का आरोप भी लगा चुके हैं। बीजेपी के लिए कैसी मुश्किल?बीजेपी किसानों के मुद्दे को लेकर बैकफुट पर नजर आती है। सरकार की तरफ से किसानों की आय दोगुनी करने से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की बातें लगातार की जाती है। वहीं, कृषि कानून वापस लिए जाने के बाद किसानों से किए गए वादों को पूरा करने को लेकर सरकार की तरफ से उदासीनता भी साफ नजर आती है। चुनावों के दौरान बीजेपी किसानों के मुद्दे पर बैकफुट पर नजर आती है। पंजाब, हरियाणा से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के प्रति किसानों की नाराजगी स्पष्ट तौर पर उभर कर आती है। ऐसे में उपराष्ट्रपति ने जिस तरह से किसानों के मुद्दे पर सरकार को लेकर सरकार पर सीधे-सीधे सवाल उठाए हैं इससे पार्टी के साथ ही सरकार को जवाब देना होगा। उपराष्ट्रपति ने इस तरह से सीधे-सीधे विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया है। विपक्ष भी हो गया हमलावरविपक्ष ने उपराष्ट्रपति की तरफ से इस मुद्दे को उठाने के बाद सरकार पर तुरंत निशाना साधा है। कांग्रेस ने किसानों से जुड़े वादों को लेकर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के बयान पर कहा कि वह भी सरकार से यही सवाल पूछ रही है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने धनखड़ के बयान का हवाला देते हुए कहा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस यही सवाल लगातार पूछ रही है चेयरमैन सर। एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी कब हकीकत का रूप लेगी? एमएसपी तय करने के लिए स्वामीनाथन फॉर्मूला कब लागू होगा? जिस तरह पूंजीपतियों को कर्ज से राहत दी गई है उसी तरह का लाभ किसानों को कब मिलेगा?