नई दिल्ली: पहाड़ से लेकर मैदान तक बारिश ने कहर बरपाया है। राजधानी में दो दिनों से जारी झमाझम बारिश ने 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ डाला है। अब दिल्ली पर बाढ़ का खतरा भी मंडराने लगा है। इसे लेकर संकेत मिल रहे हैं। मंगलवार को खतरे के निशान को पार कर सकता है। हरियाणा सरकार ने हथिनीकुंड बराज से नदी में एक लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा है। इसके बाद दिल्ली सरकार ने बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी है। दिल्ली में यमुना नदी के पास निचले इलाके बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील माने जाते हैं। वहां करीब 37,000 लोग रहते हैं। दिल्ली ने 1978 और 2010 में बाढ़ देखी है। कई सालों बाद महानगर फिर बाढ़ के मुहाने पर खड़ा हो गया है। मौसम विभाग के मुताबिक, शनिवार सुबह से जारी बारिश ने दिल्ली में 41 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है। राजधानी में सुबह साढ़े आठ बजे तक 153 मिमी वर्षा दर्ज की गई। 1982 के बाद यह 24 घंटे की सबसे ज्यादा बारिश है। इसके पहले 1982 में 169.9 मिमी बारिश हुई थी। अभी तो मॉनसून शुरू हुआ है। आगे भी बारिश होने का अनुमान है। ऐसे में बात सिर्फ यहीं खत्म नहीं हो गई है। यमुना के बढ़ते जलस्तर ने बढ़ाई चिंता यमुना के बढ़ते जलस्तर ने भी चिंता बढ़ा दी है। शाम चार बजे हथिनीकुंड बराज से 1,05,453 क्यूसेक पानी यमुना नदी में छोड़ा गया है। इसके चलते सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने पहली चेतावनी जारी कर दी है। बाढ़ के खतरे के मद्देनजर अधिकारियों को सतर्क रहने को कहा गया है। साथ ही संवेदनशील क्षेत्रों में आवश्यक उपाय करने का निर्देश दिया गया है। नदी के तटबंध के आसपास रहने वाले लोगों को जागरूक और आगाह करने के लिए त्वरित प्रतिक्रिया दलों को भी तैनात किया गया है। दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। मंगलवार को इसके खतरे के निशान 205.33 मीटर को पार करने की आशंका है।केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बाढ़ निगरानी पोर्टल के अनुसार, ओल्ड रेलवे ब्रिज पर यमुना का जलस्तर रविवार दोपहर एक बजे 203.18 मीटर था। जबकि खतरे का स्तर 204.5 मीटर है। सीडब्ल्यूसी ने एक परामर्श में कहा कि मंगलवार को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे के बीच जलस्तर 205.5 मीटर तक बढ़ने की आशंका है। उत्तर-पश्चिम भारत में पिछले दो दिन से लगातार बारिश जारी है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में कई इलाकों में ‘भारी से बहुत भारी’ बारिश दर्ज की गई है।1978 में आई थी भीषण बाढ़ करीब चार दशक पहले 1978 में यमुना में बाढ़ आई थी। तब दिल्ली के कई इलाके जलमग्न हो गए थे। बाढ़ का असर लाखों लोगों पर पड़ा था। 43 वर्ग किलोमीटर खेत पानी में डूब गए थे। फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई थीं। इसे लाखों लोगों को अपने घर छोड़ने पर मजबूर कर दिया था। उस वक्त भी बाढ़ आने का कारण हरियाणा से छोड़ा गया पानी था। तब यमुना में 2 लाख से ज्यादा क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके बाद यमुना का जलस्तर बढ़कर 207 मीटर के पार चला गया था। फिर सिर्फ 2010 और 2013 में ऐसा मौका आया जब यमुना नदी का जलस्तर 207 मीटर के निशान से पार गया।