
अक्टूबर में अफ्रीकी देश ने आरोप लगाया था कि मेडन फार्मा के बनाए कफ सिरप से उनके यहां बच्चों की मौत हो गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी इस मामले पर चिंता जताई थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र सरकार ने जांच के लिए एक कमेटी का गठन किया था, हालांकि बाद में इस कफ सिरप को सरकार की ओर से क्लीन चिट दे दी गई थी।
डाईएथिलीन ग्लाइकॉल और एथिलीन ग्लाइकॉल मीठे लेकिन बेहद जहरीले रंगहीन, गाढ़े लिक्विड होते हैं। अक्सर ये ग्लिसरीन में दूषित पदार्थों की तरह मिलते हैं। ग्लिसरीन को कई सिरप तैयार करने में स्वीटनर की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
भारतीय कफ सिरप को मौतों से जोड़ने पर DCGI ने जताई थी नाराजगीगांबिया में मौतों को WHO ने भारत में निर्मित चार कफ सिरप से जोड़ा था। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI)
लिखा। DCGI ने कहा कि WHO ने ‘गांबिया में बच्चों की मौत के मामले को भारत में निर्मित चार कफ सिरप से अपरिपक्व रूप से जोड़ दिया जिसने दुनियाभर में देश के दवा उत्पादों की छवि पर प्रतिकूल प्रभाव डाला।’ DCGI ने कहा था कि इन चारों कफ सिरप के नमूने सरकारी लैब में जांचे गए और नियमों के अनुरूप पाए गए।