जी20 के बाद क्‍या संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में भी होगी भारत की बादशाहत, सुधारों को कब मिलेगी मंजूरी?

न्‍यूयॉर्क: हाल ही में भारत ने जी20 शिखर सम्‍मेलन के साथ दुनिया की कुछ आर्थिक महाशक्तियों का मेला लगा था। इस सम्‍मेलन में एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद () में भारत की स्‍थायी सदस्‍यता और इसमें सुधारों का जिक्र किया। भारत की स्‍थायी सदस्‍यता को फ्रांस, अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और भूटान समेत कई देशों का समर्थन मिला है। भारत कब इस संगठन में स्‍थायी तौर पर शामिल होगा, इस पर अभी सस्‍पेंस है लेकिन इसके साथ ही इसमें सुधार की बातें भी होने लगी हैं। कई विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जिस तरह से भारत ने जी20 सम्‍मेलन में अपने वैश्विक नेतृत्‍व की क्षमता साबित की है यूएनएससी की दिशा में भी वह इस तरह से आगे बढ़ेगा। एक साथ आए सभी देश जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान आया घोषणापत्र यह बताता था कि भारत किस तरह से मंच पर सबको एक साथ लाने में सक्षम है। रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर सदस्‍यों में मतभेद थे लेकिन फिर भी 100 फीसदी आम सहमति बनी। जी20 के बाद इस समय न्‍यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र का आयोजन हो रहा है। जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर जो बातें कही गई थी उनमें से एक और भारत को जल्द से जल्द स्थायी सदस्य के रूप में मिलने वाला स्‍थायी समर्थन था। अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन, फ्रांस के इमैनुएल मैंक्रो, अफ्रीकन यूनियन और यहां तक कि तुर्की के राष्‍ट्रपति एर्दोगन ने भी भारत को समर्थन दिया है। क्‍यों जरूरी हैं यूएनएससी में सुधार संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी यूएनएससी में तत्काल सुधारों की जरूरत पर जोर दिया। पीएम मोदी कह चुके हैं कि 20वीं सदी की सोच से 21वीं सदी में दुनिया की सेवा नहीं की जा सकती है। यूएनएससी में पिछले कई सालों से सुधारों की वकालत की जा रही है। कई विशेषज्ञों का कहना है कि संगठन में इस समय पांच स्‍थायी सदस्‍य हैं और ये सदस्‍य किसी भी बड़े मुद्दे पर कभी भी सहमत नहीं दिखते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध इसका सबसे ताजा उदाहरण है। वहीं, यूएनएससी में प्रतिनिधित्‍व को भी बहुत कम माना जाता है। कई सदस्‍य इससे नाराज भी रहते हैं। स्थायी सदस्यों में अफ्रीका, लैटिन अमेरिका या कैरेबियन देशों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं है जबकि यूरोप के छोटे महाद्वीप में दो स्थायी सीटें हैं।भारत की सदस्‍यता को मंजूरी! भारत ने विकासशील दुनिया में अपना समर्थन मजबूत करते हुए खुद को ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में पेश किया है। अफ्रीकी संघ के 54 देश जी-20 में शामिल होने के लिए भारत के आभारी हैं। भारत के लिए पश्चिम और मध्य एशिया में भी पर्याप्त समर्थन है। लेकिन चीन, भारत का सबसे बड़ा विरोधी है। अधिकांश लैटिन अमेरिकी देशों की तरह आसियान देश भी स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का पुरजोर समर्थन करते हैं। चीन कर सकता है विरोध अमेरिका और यूरोपियन देशों से भारत का समर्थन भी बढ़ रहा है। वहीं यह बात भी सच है कि जब भारत को एक भी दस्तावेज नहीं मिल जाता जिसे पेश किया जा सके, चर्चा की जा सके और वोट देने पर, तब तक कौन से देश समर्थन कर रहे हैं, इसका पता नहीं चल सकता है। P5 देशों में चीन अकेला देश है जो स्थायी सदस्य के रूप में भारत की उम्मीदवारी या सामान्य रूप से UNSC सुधारों का विरोध कर सकता है। लेकिन जी20 की तरह अगर चीन को अकेले विरोध करने पर छोड़ दिया जाता है, तो वह भी राजी हो सकता है।