लखनऊ: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने बिना किसी अधिकार के खान-पान और ब्यूटी प्रोडक्ट्स पर अवैध तरीके से हलाल सर्टिफिकेट देने के कारोबार पर बैन लगा दिया है। इसके साथ ही अब UP में हलाल सर्टिफाइड प्रॉडक्टस का निर्माण, बिक्री और भंडारण अवैध हो गया है। ऐसा पाए जाने पर संबंधित फर्म (व्यक्ति) के खिलाफ औषधि और प्रसाधन सामग्री कानून के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। आरोप है कुछ संस्थाएं हलाल सर्टिफिकेशन के नाम पर पर अवैध कारोबार कर रही हैं। हलाल सर्टिफिकेट के नाम पर जुटाए जा रहे धन से आतंकवादी संगठनों और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग की जा रही है। सीएम योगी ने खुद इस फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए इस पर कार्रवाई के आदेश दिए थे। आइए जानते हैं आखिर योगी सरकार के फैसले के पीछे क्या कारण है। साथ ही वे कौन कंपनियां हैं जो अवैध तरीके से हलाल सर्टिफिकेट बांट रही हैं। क्या है हलाल सर्टिफिकेट?आम तौर पर हलाल सर्टिफिकेशन मीट और नॉन-मीट दोनों तरह के प्रोडक्ट के लिए दिया जाता है। यानी तमाम सौ फीसदी शाकाहारी प्रॉडक्टस के लिए भी ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ लिया जा सकता है। हलाल सर्टिफाइड का मतलब है कि खाने वाला प्रोडेक्ट शुद्ध है और इस्लामी कानून के अनुरूप तैयार किया गया है। उस प्रोडेक्ट को हलाल सर्टिफाइड नहीं माना जा सकता है जिसमें हराम सामग्री शामिल है, जैसे प्रोडेक्ट में मरे हुए जानवर या पशु का कोई हिस्सा। आमतौर पर शाकाहारी प्रोडेक्ट में मांस या मीट शामिल नहीं होता, इसके बावजूद भी सभी शाकाहारी प्रोडेक्ट को हलाल नहीं माना जा सकता है। कुछ शाकाहारी मिठाइयों में अल्कोहलिक तत्व हो सकते हैं। इसलिए उन्हें हलाल की कैटिगरी में नहीं रखा जा सकता। भले ही पहले से वो सर्टिफाइड क्यों न हो। चूंकि भारत से बड़ी मात्रा में खाद्य प्रॉडक्टसों का निर्यात सिंगापुर, मलेशिया, खाड़ी देशों और कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में होता है, जहां बड़ी संख्या में इस्लामिक आबादी है। ऐसे में देश की अधिकतर कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए ‘हलाल सर्टिफिकेशन’ करवाती हैं। कौन देता है सर्टिफिकेट? भारत में हलाल सर्टिफिकेट देने के लिए कोई आधिकारिक या सरकारी संस्था नहीं है। कई निजी कंपनियां और एजेंसियां व्यक्तिगत तौर पर कंपनियों को हलाल सर्टिफिकेट मुहैया कराती हैं। इन कंपनियों की वैधता, खासकर मुस्लिम उपभोक्ताओं के बीच इनकी पहचान या इस्लामी देशों से इनकी मान्यता के ऊपर निर्भर है। एक कंपनी हलाल इंडिया अपनी वेबसाइट पर दावा करती है कि वह किसी भी प्रोडक्ट को लैब में टेस्टिंग और कई तरह के ऑडिट के बाद ही हलाल सर्टिफिकेट देती है। हलाल इंडिया के सर्टिफिकेट को कतर, यूएई और मलेशिया जैसे इस्लामिक देशों में मान्यता मिली हुई है। चेन्नै की हलाल इंडिया, दिल्ली की जमीयत उलमा-ए-हिंद हलाल ट्रस्ट और मुंबई की हलाल काउंसिल ऑफ इंडिया भी हलाल सर्टिफिकेट बांटती हैं। लखनऊ में किसने दर्ज कराया मुकदमा? लखनऊ के हजरतगंज थाने में हलाल सर्टिफिकेट देने वाली संस्थाओं के खिलाफ ऐशबाग निवासी शैलेंद्र कुमार शर्मा ने एफआईआर दर्ज कराया है। उनका आरोप है कि ये संस्थाएं लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। बिना किसी अधिकार के ये हलाल प्रमाण पत्र जारी कर अनुचित लाभ कमा रही हैं। इस धन का इस्तेमाल राष्ट्र विरोधी तत्वों और आतंकी संगठनों की फंडिग के लिए किया जा रहा है। आरोप यह भी है कि इन कंपनियों से जुड़े लोग वर्ग विशेष को प्रभावित करने के लिए कूटरचित प्रपत्रों का प्रयोग कर प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। ये कंपनियां उन उत्पादों (तेल, साबुन, टूथपेस्ट, शहद, मसाले और रवा आदि) के लिए भी हलाल प्रमाण पत्र जारी कर रही हैं, जो शुद्ध शाकाहारी की श्रेणी में आते हैं। जाहिर है कि समुदाय विशेष और उनके उत्पादों के विरुद्ध आपराधिक षड्यंत्र रचा जा रहा है। इसमें प्रमाण पत्र जारी करने वाली संस्थाओं के मालिकों, प्रबंधकों के अलावा कई अन्य लोगों की भी सहभागिता है।हलाल और हराम का मतलब समझिए हलाल और हराम अरबी शब्द हैं।हलाल का अर्थ है वैध और हराम का अर्थ-अवैध।इस्लाम में जिन कार्यों को करने की इजाजत है वे हलाल हैं व जिन पर रोक है उन्हें हराम कहा गया है।इस्लाम में जिन जानवरों का मांस खाना वैध है उन्हें हलाल की श्रेणी में रखा गया है। बाकी जानवरों का मांस खाना हराम है।इस्लाम में जानवर को जिबह करने का भी तरीका बताया गया है।जानवरों को उसी तरीके से जिबह करना हलाल है व इस तरीके से काटे गए जानवर का मांस खाना ही हलाल माना जाता है।हलाल-हराम सिर्फ खान-पान तक ही सीमित नहीं है। इस्लाम में जुआ, ब्याज, चोरी, धोखाधड़ी, जबरन वसूली जैसे काम हराम माने गए हैं।