आखिर क्‍यों मोदी की शरण में आए पुतिन, जानें क्‍या है भारत के सामने रूस के झोली फैलाने का मकसद

मॉस्‍को: प्रतिबंधों की मार झेलता रूस अब भारत के पास मदद के लिए आया है। मंगलवार को न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स की तरफ से जो रिपोर्ट आई है अगर उस पर यकीन करें तो भारत से अलग-अलग तरह के उत्‍पादों की बिक्री करने की रिक्‍वेस्‍ट रूस ने की है। सूत्रों की तरफ से बताया गया है कि नवंबर महीने की शुरुआत में जब भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर गए थे तो उसी समय यह लिस्‍ट सौंपी गई थी। रूस के वाणिज्‍य मंत्रालय ने भी देश की कंपनियों से उसे कच्‍चे माल और उपकरण की लिस्‍ट उन्‍हें सौंपने के लिए कहा है, जिसकी उन्‍हें जरूरत है। हैरानी की बात है कि रूस जो भारत की मिलिट्री जरूरत का सबसे बड़ा साथी है, अब उसे भारत की जरूरत पड़ रही है। भारत की कुछ कंपनियों ने रूस की मदद पर कुछ चिंता भी जताई है।

व्‍यापार बढ़ाने का इच्‍छुक भारत
भारत, रूस के साथ अपना व्यापार बढ़ाने के लिए उत्‍साहित है। वह चाहता है कि ऐसा करके जो घाटा हुआ है उसे कम किया जा सके। जो रिपोर्ट आई है उसके मुताबिक रूस ने भारत से कार से लेकर एयरक्राफ्ट और ट्रेन के पुर्जों की डिलीवरी के लिए कहा है। ऐसे समय में जब रूस यूक्रेन पर हमले तेज करता जा रहा है तो उसके पास कई संसाधनों की कमी भी होने लगी है।

रूस की आलोचना से किनारा भारत दुनिया के कुछ उन देशों में है जिसने यूक्रेन के साथ युद्ध के बाद रूस पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए थे तो वहीं भारत ने इससे अलग रास्‍ता अपनाया। भारत ने अभी तक यूक्रेन जंग की वजह से रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की आलोचना नहीं की है। प्रतिबंधों के बावजूद भारत, रूस से तेल खरीद जारी रखे है। रूस ने भारत से जो 41 आइटमों की मांग की है उसमें लैंडिग गियर उपकरण, फ्यूल सिस्‍टम, कम्‍युनिकेशन सिस्‍टम, आग बुझाने का सामान, लाइफ जैकेट्स और एयरक्राफ्ट के टायर शामिल हैं जिनका प्रयोग हेलीकॉप्‍टस और एयरक्राफ्ट में होगा।

व्‍यापार में संतुलन
भारत के कुछ व्‍यापारी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि अगर प्रतिबंधों के बीच भारत, रूस की मांग को मान लेता है तो मुश्किलें बढ़ सकती हैं। रूस की इंडस्‍ट्री से जुड़े एक सूत्र ने इस मसले को काफी संवेदनशील करार दिया है। रूस के उद्योग मंत्रालय ने कंपनियों से लिस्‍ट मांगी है और इस पर अभी ज्‍यादा स्‍पष्‍टता नहीं है। जयशंकर जिस समय रूस गए थे तो उस समय उन्‍होंने कहा था कि भारत को रूस के साथ निर्यात बढ़ाने की जरूरत है।

इसके अलावा भारतीय विदेश मंत्री ने व्‍यापार को संतुलित करने के लिए भी कहा था। कई दशकों से रूस, भारत का सबसे बड़ा मिलिट्री सप्‍लायर रहा है। साथ ही भारतीय दवाईयों का चौथा सबसे बड़ा बाजार है। भारत ने यूक्रेन की जंग के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों के बाद भी रूस से तेल की खरीद जारी रखी है। तेल के अलावा कोयला और खाद भी खरीदा जा रहा है। अब भारत व्‍यापार को संतुलित करना चाहता है।

कई गुना बढ़ जाएगा निर्यात
25 फरवरी से 20 नवंबर तक भारत ने रूस से पांच गुना आयात किया। पिछले वर्ष छह अरब डॉलर का आयात किया गया था तो इस साल यह आंकड़ा बढ़कर 29 अरब डॉलर तक पहुंच गया। इस बीच निर्यात 2.4 अरब डॉलर से 1.9 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। सरकार के सूत्रों की मानें तो भारत को उम्‍मीद है कि रूस की इस लिस्‍ट की वजह से आने वाले महीनों में निर्यात 10 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। भारत की कुछ कंपनियां हालांकि रूस के साथ निर्यात पर हिचकिचाहट दिखा रही हैं। इन कंपनियों की मानें तो प्रतिबंधों की वजह से पेमेंट कैसे होगी, यह स्‍पष्‍ट नहीं है। साथ ही इंश्‍योरेंस हासिल करने में भी काफी मुश्किलें आएंगी।