आखिर कहां है अतीक की पत्नी शाइस्ता? बेटे और पति की मौत के बाद भी नहीं आई सामने, पुलिस और STF की पहुंच से दूर

प्रतीक अवस्थी, प्रयागराज/लखनऊ: प्रयागराज पुलिस और एसटीएफ लाख कोशिशों के बाद भी अतीक की पत्नी शाइस्ता तक नहीं पहुंच पाई हैं। पहले पुलिस को उम्मीद थी कि बेटे असद के मुठभेड़ में मारे जाने के बाद वह सामने आएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर जब अतीक अहमद और अशरफ को गोलियों से भून दिया गया तब एक बार फिर लगा कि अब तो वह सामने आएगी। लेकिन यहां भी अनुमान गलत साबित हुए। हालांकि एजेंसियों ने शाइस्ता के करीबी और रिश्तेदारों के जरिए दबाव बनाने की बहुत कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। अब सवाल उठ रहा है कि आखिर शाइस्ता आखिर कहां है?उमेश पाल हत्याकांड के बाद शाइस्ता तब तक शहर में मौजूद थी, जब तक उमेश की पत्नी जया पाल की तरफ से लिखाई गई एफआईआर में वह नामजद नहीं हुई थी। नामजद होते ही वह ऐसे अंडरग्राउंड हुई कि तब से उसकी कोई खबर नहीं है। माना जा रहा है कि किसी एक सुरक्षित ठिकाने पर पहुंचने के बाद शाइस्ता ने न किसी तरह का मूवमेंट किया न ही किसी से संपर्क। इसके चलते पुलिस को उसकी कोई खबर नहीं लग रही है। हालांकि शाइस्ता के कौशाम्बी, ग्रेटर नोएडा, मेरठ, दिल्ली, ओखला, मुम्बई और पश्चिम बंगाल में छिपे होने की आशंका है। एसटीएफ ने शाइस्ता के 20 से ज्यादा ऐसे मददगारों को चिह्नित कर रखा है, जिनसे उसको मदद मिल सकती है। इसमें प्रयागराज के अकामा बिल्डर्स के मालिक मोहम्मद मुस्लिम, असलम मंत्री, खालिद जफर, मो. नफीस, इरशाद उर्फ सोनू, अरशद, सुल्तान अली, नूर, राशिद उर्फ नीलू, आवेज अहमद, नजमे आलम उर्फ नब्बे, मो. आमिर उर्फ परवेज, मनीष खन्ना, नायाब, ताराचंद गुप्ता, मो. अनस और आसिफ उर्फ मल्ली के नाम शामिल हैं। इनके अलावा एक महिला डॉक्टर भी है, जो शाइस्ता की करीबी है। शाइस्ता का एक ननदोई और अतीक का बहनोई सब इंस्पेक्टर है और वर्तमान में वाराणसी में तैनात है। उसे शाइस्ता का काफी नजदीकी बताया जा रहा है। शाइस्ता लखनऊ स्थित उसके घर पर अक्सर जाकर रुकती थी, उस पर भी नजर है। अतीक था आठ‌वीं फेल, शाइस्ता है ग्रेजुएट जहां माफिया अतीक अहमद आठवीं फेल था वहीं एक जुलाई 1972 में जन्मी शाइस्ता ग्रेजुएट है। शाइस्ता ने उमेश पाल मर्डर की साजिश में अतीक से जुड़े हर उस व्यक्ति को शामिल किया, जो कहीं भी कुछ काम आ सकता था। पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक अतीक और अशरफ के जेल में रहने के दौरान शाइस्ता जमीन से जुड़े धंधे को खुद ही संभाल रही थी। पुलिस का दावा है कि जमीनों के लिए हुई हत्याओं से जुड़े मामलों में भी उसकी भूमिका की जांच की जा रही है। शाइस्ता के खिलाफ उमेश पाल हत्याकांड के अलावा तीन और मुकदमे हैं, जो वर्ष 2009 में दर्ज हुए थे।