अडानी समूह की मुश्किलें और बढ़ेंगी? FPO मामले की सेबी ने शुरू की जांच, जानें क्या है पूरा मामला?

हिंडनबर्ग रिपोर्ट आने के बाद से अडानी समूह की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। हर दिन अडानी समूह के लिए परेशान करने वाली खबरें सामने आई हैं। इनके सबके बीच भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी इंटरप्राइजेज के 20 हजार करोड़ के एफपीओ से जुड़े दो एंकर निवेशकों की जांच शुरू कर दी है। यह जांच अडानी समूह के साथ इन निवेशकों के संबंधों को लेकर शुरू की गई है।कानूनों के संभावित उल्लंघन या शेयर बिक्री प्रक्रिया में किसी भी तरह के हितों के टकराव की सेबी जांच कर रहा है। मॉरीशस की दो कंपनियों आयुष्मत लि. और ग्रेट इंटरनेशनल टस्कर फंड की अदानी के साथ संबंधों की जांच भी हो रही है। दोनों ने कंपनियों ने अदानी इंटरप्राइजेज के एफपीओ में एंकर निवेशक के रूप में अपना पैसा लगाया था। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने बताया कि इस जांच के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय को जानकारी दी गई है।ये पूरा मामला क्या है?    हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में आरोप लगाया है कि अडानी समूह की एक निजी कंपनी की मोनार्क में मामूली हिस्सेदारी थी। यह कंपनी पहले अडानी समूह के लिए एक बुक रनर के रूप में काम कर चुकी थी। हिंडनबर्ग के मुताबिक, यह साफ तौर पर हितों के टकराव का मामला है।हिंडनबर्ग ने यह भी आरोप लगाया है कि एलारा के एक मॉरीशस स्थित फंड ने अदानी समूह की तीन कंपनियों के शेयरों में अपने बाजार मूल्य का 99 प्रतिशथ निवेश किया है। यह बातें जांच में साबित हुईं तो अडानी समूह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।क्या कहते हैं नियम?कैपिटल एवं डिस्क्लोजर नियमों के अनुसार, अगर कोई संस्थान किसी कंपनी के संस्थापक या संस्थापक समूह से जुड़ा है, ऐसे में वह उस कंपनी में एंकर निवेशक नहीं हो सकता है। और इसी बात की जांच सेबी कर रहा है कि जो भी एंकर निवेशक हैं, क्या वे समूह संस्थापकों से जुड़े हैं या नहीं? सेबी की जांच में एलारा कैपिटल और मोनार्क नेटवर्थ कैपिटल के नाम भी शामिल हैं। यह उन 10 निवेश बैंकर्स में शामिल हैं, जिन्होंने एफपीओ का प्रबंधन किया था।हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में क्या है?25 जनवरी को हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के संबंध में 32 हजार शब्दों की एक रिपोर्ट जारी की। रिपोर्ट के निष्कर्ष में 88 प्रश्नों को शामिल किया। रिपोर्ट में दावा किया गया कि अडानी समूह दशकों से शेयरों के हेरफेर और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि तीन साल में शेयरों की कीमतें बढ़ने से अडानी समूह के संस्थापक गौतम अडानी की संपत्ति एक अरब डॉलर बढ़कर 120 अरब डॉलर हो गई है। इस दौरान समूह की 7 कंपनियों के शेयर औसत 819 फीसदी बढ़े। इसी रिपोर्ट के आने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था और देखते ही देखते अडानी ग्रुप के शेयर धराशाई हो गए थे।