भाजपा अपनी विफलता छिपाने के लिए राम मंदिर और धर्म का इस्तेमाल कर रही : अभिषेक बनर्जी

बांकुड़ा। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के महासचिव अभिषेक बनर्जी ने बुधवार को केंद्र की भाजपा नीत सरकार पर पिछले नौ वर्षों में सुशासन प्रदान करने में अपनी ‘‘विफलताओं’’ को छिपाने के लिए अयोध्या में राम मंदिर जैसी धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र मनरेगा कोष को अटका रहा है ताकि राज्य सरकार को धन की कमी का सामना करना पड़े।
यहां एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने दावा किया, ‘‘भाजपा अपनी नाकामी छिपाने के लिए धर्म की राजनीति करना चाहती है। क्या धर्म को लेकर की जा रही राजनीति गरीब लोगों की भूख मिटाने में मदद करेगी, जो आवश्यक वस्तुओं और रसोई गैस की कीमतों में वृद्धि से जूझ रहे हैं? जवाब है, नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘धर्म और राम मंदिर पर राजनीति करना केंद्र में अपनी सरकार की विफलताओं से ध्यान हटाने के लिए भाजपा की एक चाल है।’’
तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव और अगला लोकसभा चुनाव राज्य के लोगों के अधिकारों के मुद्दे पर होगा। भाजपा उनका हक छीनने की कोशिश कर रही है। उसने राज्य के लिए मनरेगा कोष जारी करना बंद कर दिया है।’’
अभिषेक बनर्जी की टिप्पणी रामनवमी की शोभायात्राओं के दौरान हुगली और हावड़ा जिलों में हुई हिंसा की पृष्ठभूमि में आई है। तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा पर राज्य में सांप्रदायिक तनाव भड़काने का आरोप लगाया है।
बनर्जी ने कहा कि पार्टी मनरेगा के तहत रोजगार नहीं पाने वाले दिहाड़ी मजदूरों के एक करोड़ हस्ताक्षर वाले पत्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजेगी।
जिले के लोगों से तृणमूल कांग्रेस को वोट देने का आग्रह करते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘कोविड महामारी के दौरान जब पार्टी के कार्यकर्ता बांकुड़ा में सड़कों पर थे, तब जिले के भाजपा सांसद या विधायक नहीं दिखे। हमने अंतर नहीं किया जबकि हम चुनाव हार गए थे।इसे भी पढ़ें: Jammu and Kashmir के राजौरी में सुरक्षा बलों ने एक ड्रोन को मार गिराया, तलाश अभियान जारी लेकिन अगर इस बार भी बांकुड़ा की जनता मुंह फेर लेती है तो तृणमूल कांग्रेस उनके हक की लड़ाई नहीं लड़ेगी।’’
बनर्जी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि तृणमूल कांग्रेस नेता के इस बयान से उनका अहंकार झलकता है कि बांकुड़ा के लोगों को उनकी गलती समझ में आ गयी है।
उन्होंने कहा, ‘‘जनता ने उन्हें वोट नहीं दिया, इसका यह मतलब नहीं है कि उन्होंने गलती की। यह केवल देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति उनके सम्मान को दिखाता है।’’ पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव इस साल मई में होने हैं।