नई दिल्ली (dailyhindinews.com)। आम आदमी पार्टी (AAP) को 10 दिन के भीतर सरकारी खजाने में 163.6 करोड़ रुपये जमा कराने होंगे। दिल्ली सरकार की तरफ से भेजा गया है। इसके मुताबिक, 2016-17 में AAP ने सरकारी विज्ञापनों की आड़ में सरकारी खजाने से राजनीतिक विज्ञापन दिए। दिल्ली सरकार के इन्फॉर्मेशन एंड पब्लिसिटी डायरेक्टरेट (DIP) ने कहा कि वे विज्ञापन सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस का उल्लंघन करते हैं।
DIP ने चेतावनी दी कि अगर तय वक्त में रकम जमा नहीं कराई तो ‘जरूरी कार्रवाई’ की जाएगी। AAP को भेजे गए रिकवरी नोटिस में सुप्रीम कोर्ट की जिन गाइडलाइंस को आधार बनाया गया है, वे 2015 में तय की गई थीं। SC गाइडलाइंस के अनुसार, सरकारी विज्ञापनों में ‘किसी पार्टी के हितों को प्रमोट नहीं किया जाना चाहिए।’ सरकारी विज्ञापनों में सत्ताधारी पार्टी का नाम मेंशन करने पर भी रोक है। विस्तार से उन गाइडलाइंस को जानते हैं जिनकी वजह से अब आम आदमी पार्टी को मुसीबत उठानी पड़ रही है।
सरकारी विज्ञापनों पर सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस क्या हैं?
- 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने एक रिट पिटीशन पर सुनवाई करते हुए निर्धारित कीं।
- सभी राज्यों से अपने-अपने यहां तीन सदस्यीय पैनल गठित करने को कहा गया जो कंटेंट की निगरानी करेगा।
- सरकारी विज्ञापनों का कंटेंट सत्ताधारी पार्टी के हितो को प्रमोट करने वाला न हो। राजनीतिक हस्तियों का महिमामंडन न किया जाए।
- सरकारी विज्ञापनों में सत्ताधारी पार्टी का नाम, सिंबल, लोगो या फ्लैग नहीं होना चाहिए। उनमें विपक्ष की राय और कार्यों पर सीधा हमला न हो।
- सरकारी विज्ञापनों में राजनीतिक दलों या नेताओं की वेबसाइट्स का लिंक न हो।
- सरकारी विज्ञापनों में नेताओं की तस्वीरें अवॉइड की जाएं। अगर जरूरी हो तो केवल राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री या गवर्नर/मुख्यमंत्री की फोटो यूज की जाए।
- सरकारी विज्ञापनों का इस्तेमाल मीडिया समूहों को संरक्षण देने में न हो। उनके बदले किसी पार्टी या सत्ता में बैठे व्यक्ति के पक्ष में रिपोर्टिंग न हो।
- सरकारी विज्ञापनों की लागत को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने कई नियम तय किए। मसलन, किन हस्तियों की जयंती/पुण्यतिथि पर विज्ञापन जारी होने हैं, उनकी लिस्ट पहले ही घोषित की जाए। एक मौके पर अलग-अलग विभागों से विज्ञापन जारी न किए जाएं।
- सरकारी विज्ञापनों में प्राइवेसी, इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स, चुनावी कानूनों और कंज्यूमर प्रोटेक्शन लॉ, कॉपीराइट लॉ का ध्यान रखा जाए।
- सरकार एक लोकपाल नियुक्त करेगी जो गाइडलाइंस के उल्लंघन की शिकायतों को रिसीव कर उनपर ऐक्शन लेगा।
163 करोड़ में 64 करोड़ तो ब्याज है
DIP ने AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 163.62 करोड़ रुपये की रिकवरी का नोटिस भेजा है। इसमें मूलधन 99.31 करोड़ है और 64.31 करोड़ रुपये ब्याज है। DIP ने यह आदेश सरकारी विज्ञापनों के कंटेंट रेगुलेशन के लिए बनी समिति के आदेश के बाद दिया। यह वही पैनल है जिसके गठन का निर्देश SC ने 2015 में दिया था।दिल्ली सरकार के नोटिस पर आम आदमी पार्टी की प्रतिकिया नहीं आई है। हालांकि, पार्टी ने पहले उपराज्यपाल वीके सक्सेना पर रिकवरी नोटिस देने का आरोप लगाया था। पार्टी का कहना था कि एलजी के पास ऐसा निर्देश देने का अधिकार नहीं है और वे बीजेपी के इशारे पर काम कर रहे हैं।
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