जब मुगलों ने असम में राज्य के कुछ हिस्सों पर कब्जा कर लिया था, तब लचित बरफुकन को राजा चक्रध्वज सिंघा (1663-1669) ने अहोम सेना का कमांडर-इन-चीफ नियुक्त किया था। तब हतोत्साहित और निराश अहोम सैनिक एक ऐसे नेता के लिए तरस रहे थे जो उनमें विश्वास पैदा करे। सच्चे राजनेता की तरह महावीर लचित ने ठीक यही किया। आज उनकी 400वीं जयंती गर्व से मनाई जा रही है।