उज्जैन: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में कार्तिक कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में बाबा महाकाल की दिनचर्या में कुछ बदलाव किए जाते हैं. इस दौरान बाबा महाकाल गर्म जल के स्थान पर ठंडे जल से स्नान करना प्रारंभ करते हैं. इसके साथ ही भारतीयों के समय में भी लगभग आधे घंटे का बदलाव इस दिन से होता है. वहीं, मंदिर के पुजारी पंडित अभिषेक शर्मा बाला गुरु ने बताया कि हर साल दो बार बाबा महाकाल की आरतियों के समय में बदलाव किया जाता है. यह परिवर्तन परंपरा अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 7 मार्च से किया जाएगा.
इस दौरान मंदिर के पुजारी अभिषेक शर्मा ने बताया कि आरतियों के समय में आधे घंटे का बदलाव होता है और दिनचर्या बदल जाती है. चूंकि, संध्याकालीन पूजा शाम 5 बजे से ही होगी. अश्विन मास की पूर्णिमा तक आरतियों का यह क्रम चलेगा. उन्होंने बताया कि बाबा महाकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी से गर्म जल से स्नान करना शुरू करते हैं. होली तक यही चलता है.इसके बाद होली से चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से अश्विन पूर्णिमा तक रोज भगवान महाकाल को ठंडे जल से स्नान कराया जाता है.
पुजारी बोले- महाकाल की आरती के समय में होगा बदलाव
जानकारी के अनुसार, होली के दिन से प्रथम भस्म आरती प्रात: चार से छह बजे तक, द्वितीय आरती प्रात: सात से 7:45 बजे तक, तृतीय भोग आरती प्रात: 10 से 10: 45 बजे तक, चतुर्थ संध्याकालीन पूजन शाम पांच से 5:45 बजे तक, पंचम संध्या आरती शाम सात से 7:45 बजे तक और शयन आरती रात्रि 10:30 से 11 बजे तक होगी.
ये भी पढ़ें: अतिक्रमण हटाने पहुंची टीम से भिड़े BJP नेता, हाई वोल्टेज ड्रामे के बाद लौटा बुलडोजर
ठंडे जल से शुरू होगा बाबा महाकाल का स्नान
बताया जा रहा है कि आगामी 7 मार्च को तड़के 4 बजे भस्म आरती में होली उत्सव मनाया जाएगा. पुजारी, पुरोहित भगवान महाकाल को गुलाल अर्पित करेंगे. इसके बाद भक्तों के साथ होली खेली जाएगी. ठंडे जल से स्नान का क्रम शुरू होगा. चैत्र कृष्ण प्रतिपदा धुलेंडी पर 7 मार्च से भगवान महाकाल को शीतल जल से स्नान कराने का क्रम शुरू होगा.
महाकाल मंदिर के पंडित महेश पुजारी ने बताया कार्तिक कृष्ण प्रतिपदा से सर्दी की शुरूआत होने के बाद भगवान बाबा महाकाल को तड़के भस्म आरती में गर्म जल से स्नान कराने का क्रम चल रहा था. मंदिर की परंपरा में चैत्र कृष्ण प्रतिपदा से गर्मी की शुरूआत मानी जाती है. इसलिए 7 मार्च से बाबा महाकाल का गर्म की बजाय ठंडे (शीतल) जल से स्नान कराने की शुरूआत की जाएगी. ऐसे में यह सिलसिला शरद पूर्णिमा तक चलेगा.
ये भी पढ़ें: पढ़ेंगे नहीं, तो बढ़ेंगे कैसे: 8 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं, 37 गेस्ट टीचरों के भरोसे