नई दिल्ली: दिल्ली में कोरोना की संक्रमण दर 18 पर्सेंट से ऊपर पहुंच चुकी है। एक हफ्ते में संक्रमण दर दोगुने से भी ज्यादा पहुंच गई है और इस दौरान 8 मरीजों की जान भी जा चुकी है। लेकिन, इन सबके बाद भी एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्थिति कंट्रोल में है। पैनिक होने जैसी स्थिति नहीं है। उनका तर्क है कि पहले कोरोना की जांच रैंडम होती थी, इसलिए संक्रमण दर महत्वपूर्ण माना जाता था। अभी लक्षण वाले मरीज ही जांच करा रहे हैं। अगर किसी में लक्षण हैं तो उसमें संक्रमण होने का खतरा ज्यादा रहता ही है। इसलिए अभी संक्रमण दर ज्यादा आ रही है। उधर एक सर्वे के मुताबिक अभी चार में से तीन लोग कोविड के लक्षण के बावजूद टेस्ट नहीं करा रहे हैं, यानी 76 फीसदी लोग कोरोना टेस्ट नहीं करा रहे हैं।पिछले हफ्ते सोमवार को दिल्ली में 115 मामले आए थे। संक्रमण दर 7.45% दर्ज हुई थी। इस सोमवार यानी 3 अप्रैल को 293 नए मरीजों की पुष्टि हुई है और संक्रमण दर बढ़कर 18.53 प्रतिशत तक पहुंच गई है। दोनों ही स्थिति, नए मरीज और संक्रमण दर में इजाफा यह बता रहा है कि नए मरीजों की संख्या बढ़ी है और संक्रमण दर में भी तेजी से इजाफा हुआ है। 27 मार्च से लेकर 3 अप्रैल के बीच दिल्ली में 2187 नए मरीजों की पुष्टि हुई, संक्रमण दर में 10% से ज्यादा का इजाफा हुआ और 8 मरीजों की मौत हो गई। एक्टिव मरीजों की संख्या 538 से बढ़कर 1406 तक पहुंच गई है।क्या है अस्पतालों का हाल? जैसे-जैसे मरीजों की संख्या बढ़ी है, वैसे-वैसे अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या में भी इजाफा दर्ज हो रहा है। कुल 42 मरीज एडमिट थे और 3 मरीज वेंटिलेटर पर थे। अब भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़कर 105 तक पहुंच गई है। 42 मरीज आईसीयू में हैं और 15 मरीज वेंटिलेटर पर। सबसे ज्यादा एलएनजेपी में 11 मरीज, लेडी हार्डिंग में 6, एम्स में 5, सफदरजंग में 3, जीटीबी में 4 और वेंकटेश्वर हॉस्पिटल में 6 मरीज भर्ती हैं।’अभी कोरोना के नंबर पर ध्यान देने की जरूरत नहीं’पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर चंद्रकांत लहारिया ने कहा कि मेरी राय है कि अभी कोरोना के नंबर पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि पहले की तुलना में अभी की स्थिति अलग है। अभी ऐसी स्थिति नहीं है कि इन नंबरों के आधार पर कोई फैसला किया जाए। अभी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है। जो वायरस अभी फैला रहा है, वह ओमिक्रॉन का ही सब-वेरिएंट है। हमें पता है कि इसमें मारक क्षमता नहीं है, लेकिन संक्रमण दर ज्यादा है। कोशिश यह होनी चाहिए कि जो बीमार लोग हैं, उन पर ध्यान दें, उन्हें संक्रमण से बचाएं और पैनिक न हों और न ही अफवाह फैलाएं।4 में 3 लोग लक्षण के बावजूद नहीं करा रहे टेस्टबढ़ते कोरोना मामलों के बीच एक सर्वे में सामने आया है कि चार में से तीन लोगों को कोविड के लक्षण थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने टेस्ट नहीं कराया। सर्वे के मुताबिक, कोरोना के लक्षण होने के बावजूद लोग कोविड टेस्ट कराने के इच्छुक नहीं हैं। सर्वे में लोगों से पूछा गया कि आप या आपके परिवार के सदस्यों को सर्दी, खांसी, बुखार, थकान, सांस की समस्या आदि जैसे कुछ लक्षण थे, तो आपने क्या आपने कोरोना की जांच कराई या नहीं। सर्वे में 76 प्रतिशत लोगों ने उत्तर दिए। उन्होंने स्वीकार किया कि लक्षणों के बावजूद कोई कोविड टेस्ट नहीं कराया। 303 जिलों में किया गया सर्वे सर्वे में सामने आया कि सिर्फ 12% कोविड लक्षण वाले लोगों ने RT-PCR करवाने की बात कही। वहीं, 12% ने RT-PCR और रैपिड एंटीजन टेस्ट दोनों तरह के टेस्ट करवाए। गौरतलब है कि भले ही यह बीमारी हल्के लक्षण वाली है, लेकिन कोविड के बार-बार होने वाले कोरोना इन्फेक्शन को मध्यम और दूरगामी परिणामों के लिए जाना जाता है। सर्वे देश के 303 जिलों में किया गया। इसमें 11 हजार से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें करीब 66% लोग पुरुष और 34% महिलाएं शामिल थीं।कुल जवाब: 11,44976% लोगों ने लक्षण के बावजूद नहीं कराया टेस्ट12% लोगों ने RT-PCR टेस्ट कराया12% लोगों ने रैपिड एंटीजन टेस्ट कराया