यूपी में 69,000 शिक्षक भर्ती मामला… सड़क से अदालत तक 3 साल से क्यों चल रही लड़ाई? समझें हर पहलू

लखनऊ: 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में यूपी के 1.37 लाख शिक्षामित्रों की सहायक शिक्षकों के तौर पर नियुक्ति को अवैध घोषित कर दिया था और इन पदों पर भर्ती के निर्देश दिए। सरकार ने दो चरणों में इन पदों पर भर्ती करवाने का फैसला किया। पहले चरण में 68,500 पदों पर भर्ती प्रक्रिया आयोजित की गई। दिसंबर, 2018 में दूसरे चरण के 69 हजार पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया। पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में किए गए कुछ बदलाव और फैसलों ने ऐसी असहज स्थिति पैदा की कि भर्ती के हर चरण को आरोपों और अदालतों के कठघरे से गुजरना पड़ा। 67,000 से अधिक पद भरे जाने के बाद भी गलत सवाल और आरक्षण का विवाद अब भी विभाग की गले की हड्डी बना हुआ है।विज्ञापन जारी करने के बाद जिस भर्ती को छह महीने में पूरा करने की तैयारी थी, वह पहले डेढ़ साल तक कटऑफ के विवाद में अटकी रही। दरअसल, पहले चरण में अनारक्षित वर्ग के लिए 45% और आरक्षित वर्ग के लिए 40% अंक का न्यूनतम कटऑफ तय किया गया था। दूसरे चरण में कटऑफ बढ़ाकर क्रमश : 65% और 60% कर दिया गया। लेकिन, यह आदेश 6 जनवरी, 2020 को हुई भर्ती परीक्षा के अगले दिन जारी किया गया। इसका असर यह रहा कि हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमेबाजी के चलते नतीजे परीक्षा के 16 महीने बाद घोषित हो सके। विशेषज्ञों का कहना है कि विज्ञापन जारी करते समय ही कटऑफ तय कर दिया गया होता तो इतनी लंबी कानूनी लड़ाई से बचा जा सकता था।एक सवाल करवा रहा बवाल69,000 शिक्षक भर्ती के 1000 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी इस समय नियामक संस्थाओं से लेकर अदालत की चौखट पर सिर पटक रहे हैं, जिनके लिए 1 नंबर उनके भविष्य का सवाल बना हुआ है। दरअसल, शिक्षक भर्ती में एक सवाल ऐसा था, जिसके चारों विकल्प ही गलत थे। अभ्यथिर्यों की आपत्तियों पर कान देने की जगह विभाग उन्हें ही गलत ठहराता रहा। आखिरकार, हाई कोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष को सही मानते हुए उस सवाल के लिए 1 अंक देने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने भी अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया। चूंकि, भर्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, इसलिए कोर्ट ने विभाग को रियायत देते हुए 1 अंक के फायदे को उन तक ही सीमित कर दिया जो कोर्ट तक आए थे और 1 अंक के चलते जो भर्ती से बाहर हो गए। इसके बाद परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने प्रत्यावेदन मांगे। लगभग 3,300 प्रत्यावेदन आए, जिनमें 2,249 के प्रत्यावेदन सही पाए गए। इन्हें आगे की प्रक्रिया के लिए बेसिक शिक्षा परिषद को बढ़ाया गया। इनमें करीब 1,000 अभ्यर्थी ऐसे हैं, जो 1 अंक पाने के बाद नियुक्ति के हकदार हो जाएंगे। हाई कोर्ट में अवमानना याचिकाओं, फटकार, धरना-प्रदर्शन के बाद भी विभाग अब तक अपनी गलती नहीं सुधार पाया है और उन्हें केवल आश्वासन दिया जा रहा है। विभाग हाई कोर्ट में चल रहे आरक्षण विवाद का हवाला दे रहा है।आरक्षण पर बवालसहायक शिक्षक भर्ती में जिस मामले को लेकर सियासत भी उबली हुई है और कोर्ट में भी लड़ाई चल रही है, वह है भर्ती में आरक्षण की ‘विसंगति’ का। अभ्यर्थी आरक्षण में 19,000 पदों के घोटाले का आरोप लगा रहे हैं, जबकि भर्ती सही ठहराने के विभाग के अपने तर्क हैं। अभ्यर्थियों का आरोप है कि 1 जून 2020 को भर्ती की जो प्रस्तावित सूची जारी की गई थी उसमें अभ्यर्थियों के वेटेज, कैटिगरी व सब कैटिगरी का उल्लेख नहीं किया गया। OBC को 27% की जगह 3.86% ही आरक्षण मिला। आरक्षित वर्ग के जो अभ्यर्थी अधिक मेरिट के चलते अनारक्षित वर्ग के पदों के हकदार थे उन्हें भी कोटे के तहत गिना गया। इसे लेकर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग व विभाग के बीच लंबे समय तक लिखा-पढ़ी भी चली। हालांकि, विभाग का दावा है कि असफल अभ्यर्थी भ्रम फैला रहे हैं। OBC के लिए आरक्षित 18,598 पदों के सापेक्ष 31,228 अभ्यर्थियों का चयन हुआ है, जिनमें 12,630 अभ्यर्थी अनारक्षित वर्ग के अंतर्गत मेरिट पर चयनित हुए हैं।6,800 की अतिरिक्त सूची ने बढ़ाया संकटभर्ती में आरक्षण की अनियमितता का आरोप ऐसा था, जिसने विपक्षी दलों को सरकार को घेरने का मौका दे दिया। विधानसभा चुनाव के पहले सत्तारूढ़ दल के भी OBC चेहरे असहज थे। इसलिए, 5 जनवरी 2022 को विवाद के समाधान के लिए 6,800 और अभ्यर्थियों की चयन सूची जारी कर दी गई। समाधान के बजाय इस सूची ने आरक्षण में गड़बड़ियों के आरोपों को पुख्ता कर दिया। अभ्यर्थियों का तर्क था कि गलती नहीं थी तो फिर अतिरिक्त सूची क्यों जारी करनी पड़ी? हालांकि, दबी जुबान विभाग ने यह जरूर स्वीकार किया कि क्षैतिज आरक्षण के निर्धारण में चूक हो गई थी। सूत्रों की मानें तो महिलाओं के 20% आरक्षण के निर्धारण का फॉर्म्युला ही गलत तय किया था। इस गलती को सुधारने के लिए और पदों पर चयन सूची जारी करनी पड़ी। छोटी-छोटी गलतियों पर अभ्यर्थियों के आवेदन खारिज करने वाला बेसिक शिक्षा विभाग इतनी बड़ी अनियमितता पर आज तक किसी बड़े की जवाबदेही नहीं कर पाया है। दूसरी ओर कोर्ट ने चयन सूची भी रद कर दी।अब कोर्ट के सहारे समाधान की उम्मीदभर्ती में एक ओर आरक्षण न दिए जाने के आरोप लग रहे हैं, वहीं अनारक्षित वर्ग के अभ्यर्थी दोहरे आरक्षण का आरोप लगाकर कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे हैं। इसी साल 13 मार्च को 6,800 की अतिरिक्त चयन सूची को रद करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि भर्ती सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अधीन है और बिना विज्ञापन पद नहीं भरे जा सकते। कोर्ट ने जहां 50% से अधिक आरक्षण न होने का हवाला दिया बल्कि दोहरे आरक्षण का भी सवाल उठाया। कोर्ट ने यह भी कहा कि अफसरों की जिम्मेदारी थी कि वे आरक्षण अधिनियमों का ढंग से पालन करते, लेकिन वे ऐसा करने में असफल रहे। अभ्यर्थियों व उनके आरक्षण का विवरण और स्कोर तक नहीं पेश किया गया। इसलिए, पूरी चयन सूची की ही नए सिरे से समीक्षा की जाए। दोहरे आरक्षण की सिंगल बेच की व्याख्या के खिलाफ आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी फिलहाल डबल बेच में लड़ रहे हैं। दूसरी ओर धरना-प्रदर्शन व सियासी मंचों पर सवाल के जरिए भी विभाग पर समायोजन का दबाव बना रहे हैं। कुछ की यह भी मांग है कि आरक्षण को लेकर करीब 2,000 अभ्यर्थी जो कोर्ट में हैं, उनका ही विभाग समायोजन कर दे तो विवाद खत्म हो जाएगा। वहीं, बेसिक शिक्षा विभाग ने समाधान की गेंद कोर्ट के पाले में डाल दी है। विवाद और अदालती नूरा-कुश्तीविवाद-1 : कटऑफ20185 दिसंबर : शिक्षक भर्ती का विज्ञापन निकाला गया20196 जनवरी : लिखित परीक्षा हुई7 जनवरी : बेसिक शिक्षा विभाग ने अनारक्षित वर्ग के लिए 65% व आरक्षित वर्ग के लिए 60% कटऑफ जारी किया17 जनवरी : कटऑफ के खिलाफ शिक्षामित्रों की याचिका पर हाई कोर्ट ने रिजल्ट पर रोक लगा दी29 मार्च : सिंगल बेंच ने कट ऑफ खारिज किया, सरकार डबल बेंच गई20206 मई : हाई कोर्ट ने कट ऑफ सही माना और रिजल्ट घोषित करने को कहा12 मई : परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने रिजल्ट घोषित किया9 जून : सुप्रीम कोर्ट ने 37,339 पदों पर भर्ती होल्ड करने के निर्देश दिए18 नवंबर : कट ऑफ को सही मानते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भर्ती के आदेश दिया, विवाद खत्म।विवाद 2 : गलत सवाल20208 मई : भर्ती परीक्षा की अंतिम आंसर-की जारी की गई3 जून : हाई कोर्ट की सिंगल ने गलत सवालों के चलते भर्ती की काउंसलिंग रोक दी12 जून : डबल बेंच ने काउंसलिंग पर लगी रोक हटा दी, अभ्यर्थी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे7 जुलाई : सुप्रीम कोर्ट ने SLP खारिज कर दी, 2 महीने में मामले के निपटारे को कहा202124 अगस्त : हाई कोर्ट ने 1 नंबर से फेल अभ्यर्थियों को गलत सवाल का पुनर्मूल्यांकन कर नियुक्ति के लिए कहा20229 नवंबर : सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ यूपी सरकार की SLP खारिज कर दी7 दिसंबर : हाई कोर्ट ने 1 नंबर से चूके अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर विचार के लिए विभाग को दो हफ्ते दिए202319 जनवरी : 1 नंबर से चूके अभ्यर्थियों से इस तारीख तक प्रत्यावेदन मांगे गए थे, 3,192 प्रत्यावेदन मिले2 मार्च : 2,249 अभ्यर्थियों की सूची परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बेसिक शिक्षा परिषद को भेजी, तबसे आरक्षण विवाद का हवाला देकर मामला लंबित है 17 नवंबर : अवमाचना याचिकाओं पर हाई कोर्ट ने सचिव, पीएनपी से व्यक्तिगत हलफनामा मांगाविवाद तीन : आरक्षण में विसंगति20201 जून : 69,000 शिक्षक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों की सूची जारी हुईसितंबर : OBC अभ्यर्थियों ने आरक्षण में घोटाले का आरोप लगा पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत की202129 अप्रैल : पिछड़ा वर्ग आयोग ने रिपोर्ट में कहा कि आरक्षण का पालन नहीं हुआ।20225 जनवरी : आरक्षण में विसंगति मानते हुए 6,800 और अभ्यर्थियों की सूची जारी की27 जनवरी : बिना विज्ञापन अतिरिक्त नियुक्ति को गलत मानते हुए हाई कोर्ट ने सूची पर रोक लगा दी28 मार्च : डबल बेंच ने भी सिंगल बेच का फैसला बरकरार रखा202313 मार्च : हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने 6,800 की सूची रद की और 1 जून 2020 की सूची की भी समीक्षा करने को कहा17 अप्रैल : सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ महेंद्र पाल और कुछ अभ्यर्थी डबल बेंच पहुंचे20 नवंबर : डबल बेंच 4 दिसंबर से मामले की नियमित सुनवाई करेगी