37 दिन, 6 हजार किलोमीटर: 66 साल के शख्स ने गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए साइकिल से की पूरे देश की यात्रा

नई दिल्ली: करीब एक महीने का वक्त और 6000 किलोमीटर की सफर, वो भी साइकिल से। ये बात सुनकर यकीन करना मुश्किल है, लेकिन 66 साल के एक शख्स ने ऐसा करतब करके दिखाया है। इस शख्स का नाम है गगन खोसला। गगन ने ये साइकिल यात्रा गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए की, जिनकी कोरोना महामारी में पढ़ाई छूट गई थी। गरीब और वंचित बच्चों के भविष्य संवारने के लिए गगन ने देशभर से धन इकट्ठा किया। दिल्ली के रहने वाले अपनी यात्रा पूरी करके बुधवार को वापस लौटे। उन्होंने दिल्ली से अपनी यात्रा शुरू की और स्वर्णिम चतुर्भज (Golden Quadrilateral) से होते हुए कोलकाता, चेन्नई और मुंबई होते हुए देशभर के कई छोटे-बड़े शहरों तक पहुंचे।

गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए शुरू की साइकिल यात्रा

खोसना ने ये साइकिल यात्रा किसी रेकॉर्ड बुक में नाम दर्ज कराने के लिए नहीं की। गरीब और वंचित बच्चों के लिए उन्होंने ये साहसिक कदम उठाया। कोविड में जिन बच्चों का स्कूल छूट गया उनके लिए खोसला ने देशभर से चंदा इकट्ठा किया। इस पहल में उन्होंने सेव द चिल्ड्रन एनजीओ के साथ सहयोग किया। गगन खोसला ने कहा, “साल2021 में हमने सेव द चिल्ड्रेन से संपर्क किया और उनके साथ अपना आइडिया शेयर किया। इसके साथ ही बच्चों की पढ़ाई के लिए मैंने साइकिल राइड के लिए कहा। मैं इस यात्रा को किसी भी कीमत पर पूरी करने के लिए तत्पर था।’ खोसला ने बताया कि यात्रा पूरी होने पर उनका परिवार और दोस्त स्वागत करने के लिए जमा हुए।

दोस्तों और परिवार ने दिया साथ6 हजार किलोमीटर की इस यात्रा में गगन के इस अनोखे सपने को पूरा करने में दोस्त और परिवार के लोग उनके साथ जुड़े रहे। यात्रा के दौरान खाना बनाने के लिए उनके साथ एक रसोईया भी था। सिक्स-लेन हाईवे पर साइकिल चलाना बेहद खतरनाक हो सकता है। इस खतरे को देखते हुए बड़ी सावधानी से खोसला ने यात्रा की। यात्रा के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा,’नेशनल हाईवे साइकिल चलाना सुरक्षित नहीं है। यात्रा के दौरान गुजरात के वापी और बड़ौदा के बीच ट्रकों से मैं कम से कम 5-6 बाक बचा। एक बात तो मैं एक ट्रक के पहियों के नीचे आते-आते बचा।’

पहले कश्मीर से कन्याकुमारी तक कर चुके हैं साइकिल राइडसाइकिल राइड गगन के लिए नया नहीं है। वो 6 साल पहले 2016 में भी कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा कर चुके हैं। उन्होंने 29 दिनों में 4300 किलोमीटर की यात्रा की। इस साल उन्होंने 22 नवंबर को जब ये यात्रा शुरू की तो उन्हें शुरुआत में इसकी रफ्तार काफी धीमी लगी। उन्हें आगे के दिनों की चिंता सताने लगी। उन्होंने बताया पहले दिन करीब 170 से 180 किलोमीटर यात्रा की, जिसमें वो दिल्ली से आगरा तक पहुंच पाए। यात्रा के दूसरे दिन भी वो केवल कानपुर तक पहुंचे।

शिक्षा के साथ पर्यावरण, स्वच्छता और फिटनेस का देते हैं संदेशखोसला ने कहा, ‘लेकिन मैंने खुद से कहा कि मैं जो कर रहा हूं उस पर सवाल नहीं उठाऊंगा क्योंकि ऐसा कुछ करने पर इसके नतीजे घातक साबित हो सकते हैं।’ खोसला शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण, स्वच्छता और फिटनैस को लेकर संदेश देना चाहते थे। इसलिए, उनकी यात्रा के दो हैशटैग थे- #PedalForChildren और #ShutUpPain। उनका मानना है कि हम फिजिकली दर्द को को महसूस करते हैं लेकिन कई बार हमारे आसपास मानसिक रूप से परेशान लोग होते हैं। ऐसे में हमें उनके इस दर्द पर भी ध्यान देना जरूरी होता है। इसके लिए हमें हर तरह से फिट रहने की जरूरत है। इसी फिटनेस की मदद से वो इस यात्रा को पूरा कर पाए।