‘केवल ऑनलाइन पढ़ाई हुई’
बच्चों के माता-पिता ने कहा था कि स्कूलों ने केवल ऑन लाइन पढ़ाई ही करवाई है कोई दूसरी सुविधा नहीं दी। इसलिए ट्यूशन फीस के अलावा एक भी रुपया लेना उचित नहीं है। याचिका दायर करने वालों ने इंडियन स्कूल जोधपुर बनाम राजस्थान सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। इसी फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि बिना सुविधाएं दिए फीस लेना मुनाफाखोरी और शिक्षा के व्यावसायीकरण करने जैसा है।
इस तरह मिलेगी फीस
अब सवाल यह उठता है तो यह फीस कैसे माफ होगी या अभिभावकों को कैसे वापस मिलेगी। इसके लिए हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि साल 2020-21 में स्कूलों ने जितनी फीस ली होगी उसका 15 पर्सेंट अगले सेशन में एडजस्ट किया जाएगा। यहां यह भी सवाल उठता है कि अगर बच्चे ने स्कूल बदल दिया हो तो उस स्थिति में क्या होगा। इसके जवाब में हाईकोर्ट ने कहा है कि जो बच्चे स्कूल छोड़कर जा चुके हैं उनको 2020-21 में वसूली गई फीस का 15 पर्सेंट वापस करना होगा। कोर्ट ने माफ की गई इस फीस को अगले सेशन में एडजस्ट करने या फीस वापस लौटाने के लिए स्कूलों को दो महीने का समय दिया है।